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श्रावकाचार
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सामायिक के भेद-प्रश्नोत्तर श्रावकाचार में सामायिक के छः प्रकार बताये हैं :१. नाम सामायिक-जो शुभ और अशुभ के भेदों को सुनकर राग-द्वेष
को त्यागता है, वह नाम सामायिक है।' २. स्थापना सामायिक-जो शुभ और अशुभ, चेतन तथा जड़ पदार्थों __को देखकर राग-द्वेषादि का त्याग करता है, उस स्थापना को स्थापना
सामायिक माना है । ३. द्रव्य सामायिक-जो सोने तथा मिट्टी में समान भाव रखता है, वह
द्रव्य सामायिक है । ४. क्षेत्र सामायिक-जो शुभ देश में सुख पाकर तथा अशुभ देश में दुःख
पाकर राग-द्वेष का त्याग कर देता है, वह क्षेत्र सामायिक है । ५. काल सामायिक-जो शीतकाल में एवं उष्णकाल में समता धारण
करते हैं, उसको काल सामायिक माना गया है । ६. भाव सामायिक-जो मित्र-शत्रु आदि में राग-द्वेष न रखकर अपने __को समस्त पापों से रहित बना लेता है, उसके भाव सामायिक
होती है। अतिचार
प्रायः सभी ग्रन्थों में सामायिक के पाँच अतिचार माने हैं, उपासकदशांग आदि में मनोदुष्प्रणिधान, वचनदुष्प्रणिधान, कायदुष्प्रणिधान, सामायिक की समयावधि का ध्यान नहीं रखना एवं सामायिक अव्यवस्थित करना, ये पांच अतिचार स्वीकार किये हैं।' १. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, १८/२४ २. वही, १८/२५ ३. वही, १८/२६ ४. वही, १८/२७ ५. वही, १८/२८ ६. वही, १८/२९ ७. क. "पंच अइयारा जाणियन्वा न समायरियव्वा तंजहा-मणदुप्पणिहाणे, वय
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