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उपासक दशांग : एक परिशीलन
३. साड़ी कर्म – उपासक दशांग सूत्रटीका में बैलगाड़ी, रथ आदि बनाकर
योगशास्त्र एवं त्रिषष्टिचाक आदि बनाना,
बेचने का धंधा करना साड़ी कर्म माना है ।' शलाकापुरुषचरित्र में गाड़ी और उसके अंग, चलाना व बेचना शकट जीविका मानी है । २ ४. भाटी कर्म - उपासक दशांगसूत्रटीका में पशु, बैल, अश्व आदि को भाड़े पर देने के व्यापार को भाटी कर्म कहा है । योगशास्त्र व त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र में गाड़ी, बैल, खच्चर, घोड़े आदि को भाड़े के निमित्त चलाकर बेचने का धंधा करना भाटी कर्म है । आवश्यकटीका एवं श्रावकप्रज्ञप्तिटीका में भी यही स्वरूप वर्णित है ।
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फोड़ो कर्म – उपासकदशांगसूत्रटीका में कुदाल, हल द्वारा खान खोदने, पत्थर फोड़ने आदि के व्यापार को फोड़ी कर्म कहा है । योगशास्त्र एवं त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में तालाब, व कुएँ आदि को खोदने, शिलाओं को तोड़ने आदि क्रियाओं को फोड़ी कर्म बताया
१. “ शकटकर्म शकटानां घटन विक्रयवाहनरूपं "
—उपासकदशांगसूत्रटीका - अभयदेव, पृष्ठ ३९
२. क. योगशास्त्र, ३ / १०३
ख. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, ९/३/३३८
३. " भाटककर्म मूल्यार्थं गन्त्र्यादिभिः परकीयभांडवहनं'
- उपासक दशांगसूत्रटीका - अभयदेव पृष्ठ ३९
४. क. शकटोक्ष - लुलायोष्ट्र खराश्वतर वाजिनाम् । भारस्य वाहनाद् वृत्तिर्भवेद्भाकजोविका ॥
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-- योगशास्त्र, ३/१०४
ख. त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र ९/३/३३९
५. क. " भाटीकम्मं सएण भंडोवक्खरेण भाडएण वहइ, परायगं ण कप्पति असि
वा सगडं बलद्दे य न देति "
—आवश्यकटीका, ६/८२९
ख. श्रावकप्रज्ञप्तिटीका, २८८
६. "स्फोट कर्मकुद्दालहलादिभिभूमिदारणेन जीवनम् ”
उपासकदशांगसूत्रटीका अभयदेव, १४३९
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