________________
श्रावकाचार
१०५
तस्कर प्रयोग है ।" प्रश्नोत्तर श्रावकाचार व लाटीसंहिता में बिना प्रेरणा चोरी करके लाये हुए धन को ग्रहण करने को तस्कर प्रयोग कहा गया है ।
३. विरुद्धराज्यातिक्रम
"विरुद्ध पयोराज्यं विरुद्धराज्यं तस्यातिक्रमोऽतिलंघन विरुद्ध राज्यामिलं धनं"
उपासक दशांग की टीका में आचार्य अभयदेव ने विरोधी राजाओं की निषिद्ध सीमा का उल्लंघन करना व राज्यविरुद्ध कार्य करना विरुद्ध राज्यातिक्रम माना है | श्रावकप्रज्ञप्तिटीका में दो अलग-अलग राजाओं के राज्य से सामान कर आदि बचाकर ले जाना एवं दूसरे राज्य की वस्तु अपने राज्य में लाना विरुद्धराज्यातिक्रम माना है । " प्रश्नोत्तरश्रावकाचार में जो राजनीति को छोड़कर व्यापार करता है एवं अधिक धन ग्रहण करता है उसके यह अतिचार लगता है । लाटीसंहिता के अनुसार राजा की आज्ञा चाहे वह योग्य हो या अयोग्य पालन न करना विरुद्ध राज्यातिक्रम है । ७
४. कूटतुला कूटमान
"कूट तुलेकूडमाणेत्ति तुला प्रतीता मान कुड़वादिकूटत्वं न्यूनाधिकत्वं ताभ्यां न्यूनाधिकाभ्यां "
उपासक दशांगटीका व श्रावकप्रज्ञप्तिटीका में तुला का अर्थ तराजू व मान का अर्थ मापने, तौलने के बाट से किया है । इसके लेन-देन में अधिक
१. क. उपासकदशांगटीका - अभयदेव, पृष्ठ ३१
ख. श्रावकप्रज्ञप्तिटीका, पृष्ठ १५८
२. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, १४ / ३१ ३. लाटीसंहिता, ५/५०
४. उपासकदशांगटीका - अभयदेव, पृष्ठ ३१
५. श्रावकप्रज्ञप्तिटीका, पृष्ठ १५८ ६. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, १४ / ३२ लाटी संहिता, ५/५२
७.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org