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________________ श्रावकाचार प्रकट करना, दूसरे को बदनामी फैलाना, चुगली खाना, झूठालेख लिखना, झूठी गवाही देना ये पांच अतिचार कहे हैं ।' उपासकदशांग में वर्णित असत्य के पांच अतिचारों का खुलासा इस प्रकार है :-- १. सहसा अभ्याख्यान -- सहसा अभ्याख्यान का सामान्य अर्थ बिना विचारे दोषारोपण करना है । उपासकदशांगटीका में बिना विचारे ही दूसरों पर मिथ्या आरोप जैसे - तू चोर है, सहसा अभ्याख्यान माना है, यथा २ " सहसा अनालोच्याभ्याख्यानम् - असद्दोषाध्याक्षेपणं सहसाभ्याख्यानं यथा चौरस्त्वमित्यादि" आवश्यक हरिभद्रवृत्ति में समुचित विचार न करके दोषारोपण करने को सहसा अभ्याख्यान कहा है । ३ योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरणिका में अविद्यमान दोषों का आरोपण करने को जैसे -- तुम चोर हो, परस्त्रीगामी हो, सहसा अभ्याख्यान कहा है ।" ९७ २. रहसाभ्याख्यान - - उपासकदशांगटीका में रहः का अर्थ एकान्त और उसी का आधार लेकर मिथ्यादोषारोपण करना रहोभ्याख्यान अर्थ किया है यथा- " रहसा अभक्खाणे ति रहः एकान्तस्तेन हेतुना अभ्याख्यान रहो भ्याख्यानम्" ७ चारित्रसार व सर्वार्थसिद्धि में स्त्री पुरुष के द्वारा एकान्त में किये गये कार्य विशेष को प्रकाशित करने का नाम रहसाभ्याख्यान दिया १. उपासकाध्ययन, ३८१ २. उपासक दशांगटीका - अभयदेव पृष्ठ २८ ३. " सहसा अनालोच्य अभ्याख्यानं सहसाऽभ्याख्यानम्” - आवश्यक हरिभद्रवृत्ति ६/८२१ ४. “ सहसा अनोलोच्याभ्याख्यानं सद्दोषाध्यारोपणं यथा चौरत्वं पारदारिको वैत्यादि " - योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरणिका, ३ / ९१ J ५. उपासकदशांगटीका - अभयदेव, पृष्ठ २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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