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________________ तीर्थकर की अवधारणा : ७९ बाद होने वाले मल्लि तीर्थकर की आयु ५५ हजार वर्ष है। अतएव पौराणिक दृष्टि से विचार किया जाय तो अरक का समय अर और मल्लि के बीच ठहरता है। इस आयु के भेद को न माना जाय तो इतना कहा ही जा सकता है कि अर या अरक नामक कोई महान् व्यक्ति प्राचीन पुराणकाल में हुआ था जिन्हें बौद्ध और जैन दोनों ने तीर्थंकर का पद दिया है । दूसरी बात यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस अरक से भी पहले बुद्ध के मत से अरनेमि नामक एक तीर्थकर हुए हैं। बौद्ध परम्परा में बताये गये अरनेमि और जैन तीर्थंकर अर का भी कोई सम्बन्ध हो सकता है, यह विचारणीय है नामसाम्य तो आंशिक रूप से है ही और दोनों की पौराणिकता भी मान्य है। हमारी दृष्टि में अरक का सम्बन्ध अर से और अरनेमि का सम्बन्ध अरिष्टनेमि से जोड़ा जा सकता है । बोद्ध परम्परा में अरक का जो उल्लेख हमें प्राप्त होता है उसे हम जैन परम्परा के अर-तीर्थङ्कर के काफी समीप पाते हैं। १९. मल्लि ___ "मल्लि" को इस अवसर्पिणी काल का १९ वां तीर्थकर माना गया है।' इनके पिता का नाम कुंभ और माता का नाम प्रभावती था। महिल की जन्मभूमि विदेह की राजधानी मिथिला मानी गयी है ।२ इनके शरार की ऊँचाई २५ धनुष और रंग सांवला माना गया है । सम्भवतः जैन परम्परा के अंग साहित्य में महावीर के बाद यदि किसी का विस्तृत उल्लेख मिलता है तो वह महिल का है । ज्ञाताधर्मकथा में मल्लि के जीवनवृत्त का विस्तार से उल्लेख उपलब्ध है। जैनधर्म की श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराएँ मल्लि के जीवनवृत्त के सम्बन्ध में विशेष तौर से इस बात को लेकर कि वे पुरुष थे या स्त्री मतभेद रखती हैं। दिगम्बर परम्परा की मान्यता है कि मल्लि पुरुष थे, जबकि श्वेताम्बर परम्परा उन्हें स्त्री मानती है । सामान्यतया जैन परम्परा में यह माना गया है कि पुरुष ही तोर्थंकर होता है किन्तु श्वेताम्बर आगम साहित्य में यह भी उल्लेख है कि इस काल चक्र में जो विशेष आश्चर्यजनक १० घटनाएँ हुई उनमें महावीर का गर्भापहरण और मल्लि का स्त्रीरूप में तीर्थंकर होना विशेष महत्त्वपूर्ण है। ___श्वेताम्बर आगम ज्ञाताधर्मकथा के अनुसार मल्लि के सौन्दर्य पर १. समवायांग, १५७, विशेष० भा० १७५९ । २. समवायांग, १५७, आ० नि० ३८६ । ३. समवायांग, गा० २५, ५५, आवश्यकनियुक्ति, ३७७, ३८० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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