SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८ : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन ३. संभव वर्ष इन्होंने संभव वर्तमान अवसर्पिणी काल के तीसरे तीर्थंकर माने गये हैं । ' इनके पिता का नाम जितारि एवं माता का नाम सेनादेवी था तथा इनका जन्म-स्थान श्रावस्ती नगर माना गया है । इनके शरीर की ऊँचाई ४०० धनुष, वर्ण कांचन और आयु ६० लाख पूर्वं मानी गई है । भी अपने जोवन की संध्या वेला में संन्यास ग्रहण किया और १९४ वर्ष की कठोर साधना के पश्चात् साल वृक्ष के नीचे इन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ | इन्होंने सम्मेतशिखर पर निर्वाण प्राप्त किया ।" इनकी शिष्यसम्पदा में २ लाख भिक्षु और ३ लाख ३६ हजार भिक्षुणियाँ थीं । अन्य परम्पराओं मे इनका उल्लेख हमें कहीं नहीं मिलता है । त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में इनके दो पूर्वभवों का उल्लेख है । ४. अभिनन्दन 1 अभिनन्दन जैन परम्परा के चौथे तीर्थंकर माने जाते हैं । इनके पिता का नाम संवर एवं माता का नाम सिद्धार्था था तथा इनका जन्म स्थान अयोध्या माना गया है। इनके शरीर की ऊँचाई ३५० धनुष और वर्ण सुनहला बताया गया है ।' इन्होंने जीवन के अन्तिम चरण में १००० मनुष्यों के साथ संन्यास ग्रहण किया और कठिन तपस्या के बाद सम्मेतपर्वत पर निर्वाण प्राप्त किया । इन्होंने अपनी ५० लाख पूर्व वर्ष की आयु में साढ़े बारह लाख पूर्व वर्ष कुमार अवस्था में साढ़े छत्तीस लाख पूर्व वर्ष गृहस्थ जीवन में और एक लाख पूर्व वर्ष में संन्यास धर्म पालन किया । इनको प्रिअंक वृक्ष के नीचे कैवल्य प्राप्त हुआ था । T इनके ३ लाख मुनि और ३० हजार साध्वियाँ थीं । १° त्रिषष्टिशलाका १. समावायांग गा० १५७; नन्दीसूत्र, १८; विशेषावश्यकभाष्य, १७५८ २ . वही, १५७; आवश्यक नियुक्ति ३८५ । ३. वही, १०६, ५९; आवश्यक नियुक्ति ३७८, ३७६, २७८ । ४. वही, १५७; आवश्यक नियुक्ति २५४, ३०२ । ५. कल्पसूत्र, २०२; आवश्यक नियुक्ति ३०३, ३०७, ३११ । ६. समवायांग गा० १५७; आवश्यकनियुक्ति, २५६, २६० । ७. वही, १५७; आवश्यक नियुक्ति, ३८२ । ८. आवश्यक नियुक्ति, ३७६ । ९. वही, २२५, २८०, ३०३ । १०. वही, २५६, २६० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy