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________________ विषय प्रवेश : २३ का बोलबाला होता है, तो परमात्मा की ओर से धर्म की स्थापना के लिए देवीयशक्ति से युक्त महापुरुष का जन्म होता है । इस अर्थ में मुहम्मद साहब को भी दैवीय शक्ति सम्पन्न पुरुष या ईश्वरीय दूत कहा जा सकता है । इस्लाम में मुहम्मद साहब को 'खुदा का पैगम्बर अर्थात् ईश्वर का सन्देश सुनाने वाला कहा जाता है । मुहम्मद साहब के उपदेश ही इस्लामधर्म के आधार स्तम्भ हैं । मुहम्मद साहब का जन्म मक्का में सन् ५७० ई० में हुआ था । इनके जन्म के पूर्व ही इनके पिता का स्वर्गवास हो चुका था और इनकी माता भी इन्हें ६ वर्ष का छोड़कर चल बसीं। इनका पालन-पोषण इनके चाचा अबूतालिब ने किया था । मुहम्मद साहब के जन्म के समय अरब में धार्मिक अशान्ति की स्थिति थी । वहाँ की खानाबदोश मूल जातियाँ प्रायः मूर्तिपूजक थी, वे तारों, पत्थरों और भूत-प्रेतों की पूजा किया करती थीं ।" मुहम्मद को अपने चाचा अबूतालिब के प्रयासों से एक धनी विधवा महिला खदीजा के यहाँ ॐटवान की नौकरी मिल गई । व्यापार के सिलसिले में वे सीरिया भी गए उनकी कार्य कुशलता से प्रसन्न होकर खदीजा ने उनसे विवाह कर लिया । चालीस वर्ष की अवस्था में मुहम्मद को मक्का की पहाड़ी गुफा में पहली बार ईश्वरानुभूति हुई और उन्होंने महसूस किया कि मेरे जन्म का उद्देश्य लोगों को नैतिक पतन से ऊपर उठाना एवं अन्धविश्वास से मुक्त कराना है । उन्होंने घोषणा की कि 'अल्लाह ने मानव जाति के कल्याण के लिए मुझे रसूल (दूत) बनाकर भेजा है । ३ उन्होंने अपने सम्बन्धियों एवं एक ईमानदार दोस्त अबूबक्र को अपनी ईश्वरानुभूति के बारे में बताया । वे बहुत दिनों तक अपनी नुबूवत (दिव्यानुभूति) में निमग्न रहे । उनके मित्रों एवं उनकी पत्नी ने उनका हौसला बढ़ाया कि उन्हें इस महान् कार्य को सम्पन्न करना है। उन्होंने मूर्तिपूजा को कड़ी आलोचना की, इस पर उन्हें मक्कावासियों के आरोपों एवं अपमान को सहना पड़ा । फिर भी उन्होंने अपना प्रचार कार्य बन्द नहीं किया । उनके चाचा ने जब उन्हें मना किया, तो मुहम्मद ने कहा- 'भले ही लोग मेरे दाहिने हाथ में सूरज और बाएँ हाथ में चाँद को रख दे ताकि मैं अपना काम १. मुहम्मद पैगम्बर की वाणी, पृ० २ २. वही, पृ० ३ ३. वही, पृ० ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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