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तीर्थंकर; बुद्ध और अवतार की अवधारणा : तुलनात्मक अध्ययन : २५१
६. बुद्ध के गर्भावक्रान्ति, सम्यक् सम्बोधि और निर्वाण के काल को पालि-त्रिपिटक में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। जैनपरम्परा में तीर्थंकर की गर्भावक्रान्ति, जन्म, दीक्षा, कैवल्य प्राप्ति और परिनिर्वाण को उसी प्रकार से कल्याणक रूप में प्रतिष्ठापित किया गया है । ___७. जिस प्रकार पालिनिकाय में यह माना जाता है कि बुद्ध जागृत ही माता के गर्भ में प्रवेश करते हैं, उसी प्रकार जैनपरम्परा में भी यह माना जाता है कि तीर्थकर जब माता के गर्भ में प्रवेश करते हैं तो वे अवधि-ज्ञान से सहित होते हैं वे यह जानते हैं कि मैं देवलोक से च्यत होकर माता के गर्भ में प्रवेश करूँगा, वे यह भी जानते हैं कि मैंने देवलोक से च्युत होकर माता के गर्भ में प्रवेश किया, किन्तु अत्यन्त सक्ष्म होने के कारण वे च्युत-काल को नहीं जान पाते हैं। इस प्रकार दोनों ही परम्परायें इतना तो मानती हैं कि बुद्ध और तीर्थंकर अपने गर्भकाल एवं जन्मों के समय जागृत प्रज्ञा ( अवधिज्ञान ) वाले होते हैं।
८. बौद्ध परम्परा में यह माना जाता है कि बुद्ध को माता बुद्ध के गर्भ में प्रवेश के पूर्व अर्ध स्वप्निल अवस्था में एक श्वेत हस्ति को अपनी कुक्षि में प्रवेश करते देखती हैं। जैनपरम्परा के अनुसार तीर्थकर के गर्भ में आने के समय माता हस्ति, सिंह, वृषभ आदि १४ अथवा १६ स्वप्न देखती हैं। यह भी माना जाता है कि वे स्वप्न में देखे जाने वाले प्राणी या वस्तुएँ स्वर्ग से उतर कर माता के मुंह में प्रवेश करती हैं।
९. जैन और बौद्ध दोनों हो परम्पराएँ इस बात को भी स्वीकार करती हैं कि गर्भकाल में तीर्थंकर की माता को कोई कष्ट न हो इसके लिए देव उनकी रक्षा करते हैं। यद्यपि चारों दिशाओं में चार देव पुत्रों के रक्षा करने की बात जैन आगम साहित्य में हमें कहीं देखने को नहीं मिलती। फिर भी बौद्ध परम्परा के साथ जैनपरम्परा भी यह मानती है कि तीर्थंकर की गर्भावक्रान्ति के पश्चात् तीर्थंकर की माता बुद्ध की माता के समान सदाचारी और शीलवान होतो है।
१०. दोनों परम्पराओं में यह बात भी सामान्यतया स्वीकृत है कि तीर्थंकर गर्भावास में माता की जिस कुक्षि में निवास करते हैं वह श्लेष्मा रुधिर आदि गन्दगियों से रहित होती है।
११. थोड़े बहुत अन्तर से दोनों परम्परायें इस बात को भी स्वीकार करती हैं कि तीर्थकर और बुद्ध के गर्भावक्रान्ति के पश्चात् उनका परिवार धन-धान्य से समृद्ध हो जाता है।
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