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________________ २५८ : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन "इसिभा सियाई" में नारायण, नारद, इन्द्र तथा उत्तराध्ययन में सनत्कुमार, कपिल आदि की गणना भी अर्हत् ऋषियों के रूप में कर ली गई । बौद्ध परम्परा में दशरथ जातक ( ४६१), देवत्रम्मजातक ( ५१६ ), ज्ञापितजातक (५१३ ), सामजातक ( ५४० ) में रामकथा का बौद्धरूप दृष्टिगत होता है' और कुणालजातक ( ५३६ ), घटजातक ( ३५५ ) में कृष्ण सम्बन्धी विवरण उपलब्ध होते हैं । ललितविस्तर में विष्णु और नारायण के उल्लेख मिलते हैं इसके अतिरिक्त सुखावती व्यूह, करण्डव्यूह आदि में भी हमें नारायण के उल्लेख मिलते हैं । ४ इस प्रकार तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणाओं में परस्पर एक दूसरे का प्रभाव देखा जा सकता है । २. तीर्थंकर और बुद्ध - दार्शनिक दृष्टि से समानता और अन्तर बुद्ध की अवधारणा अवतारवाद से भिन्न है, यद्यपि वह किसी सीमा तक तीर्थंकर की अवधारणा के अधिक निकट बैठती है । फिर भी हमें यह समझ लेना होगा कि तोर्थंकर और बुद्ध को अवधारणाएँ भी बिल्कुल समान नहीं हैं, उनमें यहाँ तक तो समानता है कि प्रत्येक तीर्थंकर और प्रत्येक बुद्ध का भिन्न और स्वतन्त्र व्यक्तित्व होता है, फिर भी बौद्ध दर्शन का अनात्मवाद और क्षणिकवाद जैन दर्शन के परिणामी नित्यवाद से भिन्न होने के कारण दोनों अवधारणाओं में भी भिन्नता आ जाती है । जहाँ जैन दर्शन में कोई एक आत्मा अपने आध्यात्मिक विकास के माध्यम सेतोर्थंकरत्व की ऊँचाई तक पहुँचती है, वहाँ बोद्ध दर्शन में चित्त सन्तति की एक धारा आध्यात्मिक ऊँचाइयों की ओर अग्रसर होते हुए बुद्धत्व को प्राप्त करती है । तीर्थंकर एवं बुद्ध को अवधारणाओं में मूलभूत अन्तर उनके आत्मवाद सम्बन्धो अवधारणाओं पर है । जैन धर्म के अनुसार कोई एक आत्मा किसी जन्म में सम्यक्त्व का बोध पाकर अपनी आध्यात्मिक साधना द्वारा तीर्थंकर नामगोत्र का बन्ध करती है, फिर १. पालि साहित्य का इतिहास, पृ० २९३-२९४ २. वही, पृ० २९४ ३. ललितविस्तर, पृ० ४. सुखावती व्यूह, पृ० आधार पर Jain Education International १२६, मूल ७, ६ और ७, १४, पृ० १६५, मू०७ १७,२५; बौद्ध धर्म दर्शन, पृ० १५०; करण्डव्यूह के For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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