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२२६ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन
इस प्रकार वेदों के विभाजन के निमित्त ही व्यास का अवतार होना प्रतीत होता है। वेद-व्यास, कृष्णद्वैपायन-व्यास एवं भागवतकार व्यास सभी के समन्वित रूप पौराणिक व्यास परिलक्षित होते हैं। १८. राम अवतार
रामावतार की विशद चर्चा पहले की जा चुकी है। १९. बलराम-अवतार । __ भागवत में कहा गया है कि जब पृथ्वी दैत्यों से भाराक्रान्त होती है और जब देत्य पृथ्वी को रौदते हैं तब भगवान् कृष्ण एवं बलराम के कलावतार रूप ग्रहण करते हैं।' पुनः भागवत् में बलराम के यदुवंश में अवतारों का प्रसंग मिलता है।
इस प्रकार बलराम के अवतार का प्रयोजन श्रीकृष्ण को मात्र सहायता पहुँचाना ही मुख्यरूप से कहा जा सकता है । २०. श्रीकृष्ण-अवतार )
( इन सभी की विशद चर्चा पहले की जा २१. बुद्ध अवतार
चुकी है।
२२. कल्कि अवतार
२३. हंस अवतार
सामान्यतया सभी पौराणिक अवतारों के रूपों में भिन्नता पाई जाती है। हंसावतार का मुख्य प्रयोजन उपदेश देना बताया गया है। उनके हंस रूप धारण करने में भिन्नता है कहीं तो वे आदित्य, कहीं प्रजापति, कहीं विष्णु और कृष्ण से अभिहित किये गये हैं। अथर्ववेद संहिता में हंस को पक्षी, जीवात्मा एवं आदित्य के प्रतोक रूपों में दर्शाया गया है। हंस रूप में वे सत्य को ब्रह्म के तृतीय पाद का उपदेश देते हैं। शंकराचार्य ने हंस
१. भूमेः सुरेतरवस्थविदितायाः क्लेशव्ययाय कलया सितकृष्णकेशः । जातः करिष्यति जनानुपलक्ष्यमार्गः कर्माणि चात्ममहिमोपनिबन्धनानि ।।
-भागवत २/७/२६. २ एकोनविंशे विंश तमे वृष्णिषु प्राप्य जन्मनी । रामकृष्णाविति भुवा भगवानहरद्वभरम् ॥
-वही १/३/२३ ३. अथववेद संहिता ८/७/२४; १०/८/१७; १०/८/१८ ४. छान:ोग्योपनिषद् ४/७/२-४
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