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________________ १२० : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन दत्तात्रेय अनुसुइया के वर माँगने पर उसके गर्भ से उत्पन्न हुए ।' अलर्क एवं प्रहलाद को इन्होंने ब्रह्म ज्ञान का उपदेश दिया । राजा यदु और सहस्त्रार्जुन दोनों ने दत्तात्रेय से योग एवं मोक्ष की सिद्धियाँ प्राप्त की । भागवत के अनुसार दत्तात्रेय ने विष्णु के अन्य कलावतार हंस, सनत्कुमार ऋषभ रूप में अवतीर्ण होकर आत्मसाक्षात्कार का उपदेश दिया । इस प्रकार दत्तात्रेय को पुराणों में तपस्वी कहा गया है । संक्षेपतः पौराणिक आख्यानों के अनुसार दत्तात्रेय विष्णु के अवतार हैं । ७. यज्ञ-पुरुष अवतार ऋग्वेद संहिता में यज्ञरूप विष्णु का उल्लेख मिलता है तथा तैत्तिरीय संहिता एवं शतपथ ब्राह्मण के मन्त्रों से विष्णु और यज्ञ की एकरूपता स्पष्ट होती है । ३ "यज्ञोवेविष्णु" विष्णुपुराण में 'आद्य यज्ञ पुरुष" और " यज्ञमूर्तिधर" नाम विष्णु के लिए प्रयुक्त हुए हैं । * विष्णुसहस्रनाम में भी विष्णु को यज्ञ शब्द में अभिहित किया गया है। मत्स्यपुराण में "वेदमय पुरुष" का निवास यज्ञों में बताया गया है । " परन्तु भागवत के यज्ञावतार का सम्बन्ध स्वायम्भुव मन्वन्तर में रुचिप्रजापति - आकृति से उत्पन्न यज्ञ पुरुष से है और इन्हीं यज्ञ को चौबीस अवतारों में ग्रहण किया गया है ।' इस प्रकार पुराणों में जो यज्ञ के विभिन्न उपादान प्राप्त हैं उन्हीं से यज्ञावतार का विकास परिलक्षित होता है । अवतारों की कोटि में आने से पूर्व यज्ञ पुरुष रूप के परिवर्तन से मानवीकरण का संकेत मिलता है । वैदिक साहित्य में भी देवों के आंशिक एवं पूर्ण प्रकृति रूपों का दर्शन होता है । बृहदारण्यक उपनिषद् एवं छान्दोयोपनिषद् ने "आहुति' से १. भागवत १ / ३ / ११ ; २/७/४; ११/४/१७ २. वही १/३/११ ३. ऋग्वेद १/५६/३; तैत्तिरीय संहिता १/७/४; श० ब्रा० १/२/१३ ४. 'आद्यो यज्ञपुमानोयः', 'यज्ञमूत्ति घराव्यय' - वि० पु० १/९/६१-६२ ५. विष्णुसहस्रनाम शांकरभाष्य, पृ० २५९ - २६३; मत्स्यपुराण अ० १५६ ६. भागवत १ / २ १२; २/७/२; ८/१/६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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