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________________ २१८ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन इस प्रकार दोनों तथ्यों के तुलनात्मक अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि चौबीस अवतारों में नर-नारायण वैदिक साहित्य में उल्लिखित नरनारायण की अपेक्षा नारायणीयोपाख्यान में उल्लिखित नर-नारायण के अधिक निकट प्रतीत होते हैं। यही नर-नारायण अपनी तपस्या के बल पर विष्णु के २४ अवतारों में मान्य हुये । ५. कपिल-अवतार ऋग्वेद संहिता में कपिल वर्ण के ऋषि का उल्लेख मिलता है।' श्वेताश्वरउपनिषद् में भी कपिल के रूप में कपिल ऋषि का सन्दर्भ मिलता है । पुनः इस उपनिषद् में कपिल को हिरण्यगर्भ का पर्यायवाची माना गया है। बाल्मोकिरामायण तथा महाभारत के "वनपर्व' में ६०००० पुत्रों को कपिल के द्वारा भस्म करने की कथा है। महाभारत में ही उनको वासुदेव से अभिहित किया गया है। महाभारत के "शान्तिपर्व" में ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में कपिल का भी नाम विद्यमान है। गीता एवं भागवत में कपिल को सिद्ध कहा गया है ।" "विष्णुसहस्रनाम" शांकरभाष्य में महर्षि कपिल को वेदों का ज्ञाता एवं उनको सांख्यवेत्ता भी कहा गया है। सूर्य-निवास के कारण ये अग्नि के स्वरूप कहे गये हैं। १. "दशानामेक कपिलं समानं तं हिन्वन्ति ऋतवे पार्याय ।" --ऋग्वेद १०/२७/१६ २. "ऋषि प्रसूतं कपिलं यस्तुमने ज्ञाने विर्भाति जायमान च पश्येत" --श्वेताश्वतरोपनिषद् ५/२ ३. वही, ३/४/४; १२/६/१८ : उद्धृत-म० सा० अ०, पृ० ४८५ ४. बाल्मीकि रामायण १/४०; महाभारत, वनपर्व ३/१०७ ५. "ददृशुः कपिलं तत्र वासुदेवं सनातनम् ।" -बाल्मीकि रा० १/४०/२५ वही, १/४०/२; महाभारत वनपर्व १०७/१२ ६. महाभारत, शान्तिपर्व ३४०/७२-८४ ७. गीता १०/२६ ८. विष्णुसहस्रनाम शांकरभाष्य, पृ० १७७ श्लोक ७० ९. भागवत १/३/१०; २/७/३; २/२१/३२; ३/२४/३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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