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२०८ : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन
जैन ग्रन्थों में कल्काचार्यं नाम के एक ब्राह्मण का उल्लेख मिलता है जिसका पौराणिक कल्कि से कुछ साम्य दृष्टिगत होता है । कल्काचार्यं बुद्धि से ब्राह्मण, पराक्रम से क्षत्रिय कहे गये हैं, इनका जन्म मध्य प्रदेश के धारानगरी में हुआ बताते हैं; जबकि पौराणिक कल्कि का जन्म सम्भल ग्राम, जो कि मध्य प्रदेश दमोह में बताया गया है । २
इस प्रकार प्रभावकचरित की गुणों के कारण पौराणिक कल्कि के पौराणिक कल्कि का विवरास प्रभावक चरित्र
कल्कि कथा चरित्र और व्यक्तिगत अधिक निकट प्रतीत होता है और माना जा सकता है । उक्त रूपों के अलावा कल्कि का एक पौराणिक रूप महाभारत से लेकर कल्कि पुराण तक लगभग एक सा ही प्रतीत होता है । महाभारत में कहा गया है कि जब कलियुग में पापों की अत्यधिक वृद्धि हो जायगी तो एक महान् शक्तिशाली बालक ब्राह्मण परिवार में पैदा होगा, जो "विष्णुयशा कल्कि" कहलायेगा । जो स्वेच्छया अस्त्र-शस्त्र प्राप्त करके दुष्टों का नाश एवं धर्म की स्थापना करेगा । ३ विष्णुपुराण भविष्य में जन्म लेने वाले सम्भल निवासी विष्णुयश के पुत्र को वासुदेव का अंशावतार रूप कल्कि मानता है जो दुष्टों का नाश करने के लिए अवतरित होंगे । ४
भागवत की सभी सूचियों में विष्णुयश के पुत्र को कल्कि का अवतार कहा गया है एवं उनका प्रयोजन दुष्टों का नाश कर धर्म की स्थापना करना बताया गया है । ५
८. अवतारों के विभिन्न प्रकार
यहां पर अवतारों के विभिन्न प्रकार से तात्पर्य ईश्वर ने किन-किन रूपों अथवा योनियों में जन्म लिया उससे है । मुख्यतया ईश्वर ने चार योनियों में अवतार ग्रहण किया है, दशावतार की अवधारणानुसार
१ - जन्तु : मत्स्य, कूर्म २ --- पशु : वाराह
१. प्रभावकचरित, कालकसूरिचरित०, पृ० २२-२७
२. न्यू इण्डियन एन्टीक्वेरी, जि० । पृ०४६३
३. महाभारत - वनपर्व १९० / ९३-९४ : ९६/९७ : शांतिपर्व ३४९ /- ३८ ४. विष्णुपुराण ४ / २४ / ९८
५. भागवत १/३/२५, २/७/३८; ११ / ४ / २२; १२ / २ / १८-२३
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