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१५४ : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन
शास्ता ने मन में विचार कर कहा कि यह सिंह भविष्य में अवश्य ही बुद्ध होगा ।
भगवान् के दो प्रधान शिष्य साल तथा उपसाल और परिचारक वरुण थे तथा रामा और सुरामा दो प्रधान शिष्याएँ थीं । इनको सोण वृक्ष के नीचे बोधिलाभ हुआ था । इनके शरीर की ऊँचाई ५८ हाथ और आयु १ लाख वर्ष कही गई है ।
(९) भगवान् नारद
भगवान् पद्म के बाद अनुपम एवं अद्वितीय नारद नामक बुद्ध हुए । भगवान् नारद का जन्म धान्यवती नगर के राजा सुदेव के यहाँ हुआ था और इनकी माता का नाम अनोमा था ।
भगवान् नारद ने भी तीन धर्मोपदेश दिये थे । उन तीनों धर्म सम्मेलनों में एकत्रित होने वाले भिक्षुओं की संख्या क्रमशः १० खरब ९ अरब तथा ८ खरब थी ।
उस समय के बोधिसत्व ऋषि ने शास्ता एवं उनके संघ को आहार प्रदान किया था तब शास्ता ने भविष्य में उनके बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी ।
भगवान् के दो प्रधान शिष्य भद्रशाल एवं जितमित्र थे और परिचारक वशिष्ठ थे । इनकी दो प्रधान शिष्याएँ उत्तरा एवं फाल्गुणी थीं । इनको महासोण वृक्ष के नीचे बोधिलाभ हुआ था । इनके शरीर की ऊँचाई ८८ हाथ और इनकी आयु ९० हजार वर्ष थी ।
(१०) भगवान् पद्मोत्तर
भगवान् नारद के बाद पुरुषों में श्रेष्ठ एवं समुद्र के समान शान्त पद्मोत्तर नामक बुद्ध हुए ।
१. " पदुमस्स अपरेन सम्बुद्धो द्विपदुत्तमो | नारद नाम नामेन, असमो अप्पटि पुग्गलो ||"
-- बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २७२:
२. " नारदस्स अपरेन सम्बुद्धो द्विपदुत्तमो । पदुमुत्तरो नाम जिनो अक्खोभो सागरूपमो ।। "
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वही - पृ० २८२
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