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________________ १५२ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन का नाम विपुल एवं माता का नाम विपुला तथा जन्म स्थान धान्यवती नगर बताया गया है। ___इन्होंने भी अपने तीन धर्म सम्मेलनों में उपदेश दिया था, प्रथम सम्मेलन को गणना उपलब्ध नहीं है; द्वितीय एवं तृतीय में उनके अनुयायियों की संख्या १० खरब बतायी जाती है। अतिदेव ब्राह्मण ने भगवान् रेवत एवं संघ का आतिथ्य सत्कार किया था, तब शास्ता ने भविष्य में उनके बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी। ___ इनके दो प्रधान शिष्य वरुण तथा ब्रह्मदेव और परिचारक सम्भव थे, इनको प्रधान शिष्याएँ भद्रा और सुभद्रा थीं। ___ इन्होंने नाग वृक्ष के नीचे बोधि लाभ प्राप्त किया था। इनके शरीर की ऊँचाई ८० हाथ एवं इनकी आयु ६० हजार वर्ष मानी जाती है । (६) भगवान् शोभित बौद्ध परम्परा में भगवान् रेवत के बाद छठवें बुद्ध भगवान् शोभित माने गए हैं, वे शान्त, अतुलनीय एवं पुरुषों में अद्वितीय माने गए हैं।' इनके पिता का नाम सुधर्म एवं माता का नाम सुधर्मा तथा जन्म स्थान सुधर्म कहा गया है। ___ भगवान् ने तीन बार धर्मचक्र का प्रवर्तन किया, उसमें सम्मिलित होने वाले भिक्षुओं की संख्या क्रमशः एक अरब, नब्बे करोड़ एवं अस्सी करोड़ थी। __इनके प्रधान शिष्य असम एवं सुनेत्र और परिचारक अनोम थे, इनको प्रधान शिष्याएँ नकुला एवं सुजाता थीं। बोधिसत्व अजित ब्राह्मण ने भगवान् को भोजन प्रदान किया, तदुपरान्त शास्ता ने भविष्य में उनके बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी। भगवान् शोभित ने नाग वृक्ष के नीचे बोधिलाभ प्राप्त किया था। इनके शरीर की ऊँचाई ५८ हाथ और आयु ९० हजार वर्ष कही गई है। १. "रेवतस्स अपरेन, सोभितो नाम नायको । समाहितो सन्तचित्तो, असमो अप्पटिपुग्गलो ॥" -बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २५०। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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