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________________ बुद्धत्व को अवधारणा : १५१ इन्होंने भी धर्मोपदेश देने के लिए तीन गोष्ठियां की, जिनमें क्रमशः १० खरब, १० अरब एवं ९० करोड़ भिक्षुओं ने उपदेश लाभ प्राप्त किया। बोधिसत्व सुरुचि नामक ब्राह्मण ने शास्ता मंगल एवं संघ को "गवपान" नामक दान दिया था, तदुपरान्त शास्ता ने भविष्य में उनके बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी। भगवान मंगल ने नाग वृक्ष के नीचे ज्ञान (बोध) प्राप्त किया। इनके शरोर की ऊचाई ८८ हाथ एवं आयु ९० हजार वर्ष कही जाती है । (४) भगवान् सुमन भगवान् मंगल के निर्वाण प्राप्त होने के बाद सुमन नामक शास्ता का जन्म क्षेमनगर में हुआ। इनके पिता का नाम सुदत्त और माता का नाम सिरिया था। ___ इन्होंने अपने तीन धर्म सम्मेलनों में क्रमशः १० अरब, ९ खरब और ८ अरब भिक्षुओं को उपदेश दिया था। महासत्व अतुल नागराज ने भगवान सूमन एवं उनके संघ को भोजन, वस्त्रादि प्रदान किये थे तब शास्ता ने भविष्य में उनके बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी। इनके शिष्य शरण एवं भावितात्मा और परिचारक उदेन थे, इनकी प्रधान शिष्यायें सोणा और उपसोणा थीं। इन्होंने भी नाग वृक्ष के नोचे बोधि प्राप्त की थी। इनके शरीर की ऊँचाई ९० हाथ एवं इनकी आयु ९० हजार वर्ष मानी गयी है। (५) भगवान् रेवत ___ भगवान् सुमन के निर्वाणोपरान्त बौद्ध परम्परा में पांचवें बुद्ध रेवत माने गए हैं । वे अनुपम, अद्वितीय, अतुल तथा उत्तम जिन थे। इनके पिता १. "मंगलस्स अपरेन, सुमनो नाम नायको। सब्बधम्मेहि असमो, सब्बसत्तानमुत्तमो ॥" -बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २३२ . २. "सुमनस्स अपरेन, रेवतो नाम नायको । अनुपमो असदिसो, अतुलो उत्तमो जिनो ॥" -बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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