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१५० : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन
नीचे बोधिलाभ प्राप्त किया था। इनके शरीर की ऊंचाई ८० हाथ तथा आयु १ लाख वर्ष मानी जाती है ।
इस प्रकार भगवान् दीपंकर ने सद्धमं का उपदेश देकर जन समूह को संसार सागर से पार उतारा और अन्त में निर्वाण प्राप्त किया । (२) भगवान् कौण्डिन्य
बौद्ध परम्परा में भगवान् दीपंकर के बाद अनन्त तेज, अमित यश एवं अनुपम कौण्डिन्य नामक बुद्ध हुए । इनके पिता का नाम सुनन्द और माता का नाम सुजाता तथा जन्मस्थान रम्यवती नगर माना गया है ।
इन्होंने भी अपने तीन धर्म सम्मेलनों में क्रमशः १० खरब, १० अरब एवं ९० करोड़ भिक्षुओं को धर्म का उपदेश दिया था ।
बोधिसत्व विजितावी चक्रवर्ती ने शास्ता कौण्डिन्य एवं उनके संघ को भोजन कराया, तत्पश्चात् शास्ता ने भविष्य में उनके बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी ।
इनके प्रधान शिष्य भद्र और सुभद्र तथा परिचारक अनुरुद्ध थे । इनकी प्रधान शिष्यायें तिष्या और उपतिष्या थीं। इनको शाल वृक्ष के नीचे बोधिलाभ हुआ था । इनके शरीर की ऊंचाई ८८ हाथ और आयु १ लाख वर्षं मानी जाती है ।
(३) भगवान् मंगल
बौद्ध परम्परा के अनुसार भगवान् कौण्डिन्य के बाद अन्धकार को नष्ट कर धर्म को धारण करने वाले तीसरे बुद्ध के रूप में मङ्गल का जन्म हुआ । इनके पिता का नाम उत्तर एवं माता का नाम उत्तरा देवी तथा जन्मस्थान उत्तर नगर माना गया है ।
इनके प्रधान शिष्य सुदेव और धर्मसेन तथा परिचालक पालित थे, इनकी प्रधान शिष्यायें सीवली और अशोका थीं ।
१. दीपंकरस्स अपरेन, कोण्डञ्ञो नाम नायको । अनन्ततेजो अमितयसो, अप्पमेय्यो दुरासदो ||
——बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २०४.
२. " कोण्डञ्चस्स अपरेन, मंगलो नाम नायनो । तमं लोके निहन्त्वान, धम्मोक्कमभिधारयि ॥"
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बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २१८
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