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बुद्धत्व को अवधारणा : १४९
कल्पना आई। पालि साहित्य में हमें सात अतीत बुद्धों का उल्लेख मिलता है। फिर या तो जेनों की २४ तीर्थंकरों की कल्पना के आधार पर या फिर स्वतन्त्ररूप से २४ अतीत बुद्धों की कल्पना बौद्ध धर्म में आई। ___ लंकावतारसूत्र में आठ कल्प एवं दो प्रकार के बद्ध पुत्रों की चर्चा के प्रसंग में २४ बुद्धों का उल्लेख हुआ है ।' इससे विदित होता है कि या तो बौद्ध साहित्य में २४ बुद्धों की कोई परम्परा रही होगी या फिर उसे अन्य परंपरा से लिया गया होगा। लंकावतारसूत्र के प्रारम्भिक अध्याय १-२ में लंका में अतीत बुद्धों के निवास की चर्चा भी मिलती है। किन्तु यहाँ पर उनकी स्पष्ट संख्या का उल्लेख नहीं है। पुनः छठे अध्याय में अतीत वर्तमान, अनागत असंख्य बुद्धों की चर्चा की गई,३ तथा एक अन्य स्थल पर इनकी संख्या ३६ कही गई है। डॉ. महेश तिवारी ने अपनी पुस्तक निदानकथा में कहा है कि परवर्ती ग्रन्थ ललितविस्तर में बुद्धों की संख्या ५४ और महावस्तु में सौ से अधिक पाई जाती है। (१) दीपंकर बुद्ध
बौद्ध परम्परा में दोपंकर को प्रथम बुद्ध माना गया है। इनके पिता का नाम सुदेव और माता का नाम सुमेधा तथा जन्मस्थान रम्यवती नगर माना गया है। .. उन्होंने प्रथम, द्वितीय और तृतीय अभिसमय (सम्मेलन) में क्रमशः१ अरब, १० खरब मनुष्यों और देवलोक में ९ खरब देवताओं को बोध कराया।
इनके प्रधान शिष्य सुमंगल और तिष्य तथा परिचारक सागत थे, इनकी प्रधान शिष्याएँ नन्दा एवं सुनन्दा थीं। इन्होंने पीपल वृक्ष के १. "स्कन्धभेदाश्चतुर्विंशद्रूपं चाष्टविधं भवेत् । . बुद्धा भवेच्चतुर्विशद्विविधाश्च जिनौरसाः॥
-लंकावतारसूत्र १०/३१६ २. वही, पृ० ५ ३. वही, पृ० १९८ ४. वही, प० २५६ ५. निदान कथा पृ० ७२ ६. नगरं रम्यवती नाम, सुदेवो नाम खत्तियो । __ सुमेधा नाम जनिका, दीपंकरस्य सत्थुनो ॥
-बुद्धवंस अट्ठकथा पृ० १९६
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