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१४४ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन उल्लिखित की गई है।' भगवान् बुद्ध को इन २४ बुद्धों के साथ सम्बद्ध करने के लिए यह धारणा अपनाई गई कि पूर्वजन्म में शाक्यमुनि बुद्ध ने इन पूर्ववर्ती बुद्धों की सेवा की थी । शाक्यमुनि बुद्ध को २५ वें बुद्ध के रूप में निरूपित किया गया । इस प्रकार बुद्धवंश के अनुसार २४ बुद्ध तो अतीतबुद्ध कहलाये और शाक्यमुनि गोतम वर्तमान बुद्ध हुए।
इस प्रकार अतीत और वर्तमान बुद्ध की अवधारणा से भी बौद्ध आचार्य सन्तुष्ट न हुए और उन्होंने अनागतवंश अर्थात् भावी बुद्ध को कल्पना कर मैत्रेय बुद्ध को २६- बुद्ध के रूप में प्रतिपादित किया। अनागतवंश में मैत्रेय सहित १० भावी बुद्धों के नाम हैं जिनके बारे में यह कहा गया है कि ये सभी गौतम बुद्ध से मिले थे और गौतम बुद्ध ने उनके भावी बुद्ध होने की भविष्यवाणी की थी। ये दस बुद्ध निम्न हैं
मैत्रेय, उत्तम, राम, प्रसेनजित्कौशल, अभिधू, दीर्घसोणी, संकस्य, सुभ (शुभ), तोदेय्य और नालागिरिपल्लेय्य । ___क्रमिक अध्ययन से प्रतीत होता है कि बुद्धवंश में अतीत बुद्धों की कल्पना के कारण ही भावी बुद्धों को कल्पना भी आई होगी। फलस्वरूप ऐतिहासिक बुद्ध शाक्य मुनि वर्तमान बुद्ध और मैत्रेय आदि भावी बुद्ध माने गये।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि पहले अतीत, वर्तमान और अनागत बुद्धों की अवधारणा का विकास हुआ होगा, फिर अतीत बुद्धों की संख्या का प्रश्न आया, पालि त्रिपिटक में वह शाक्य मुनि को मिलाकर सात मानी गई, फिर लंकावतार में चौबीस बुद्धों की अवधारणा आई । भावी बुद्धों की कल्पना के साथ यह संख्या स्थिर न रह सकी। अन्त में महायान साहित्य में अनन्त बुद्धों की अवधारणा को स्वीकार कर लिया गया।
१. बुद्धवंश (देवनागरी संस्करण भिक्षु उत्तम द्वारा प्रकाशित) २. पालि साहित्य का इतिहास, पृष्ठ ५८५ ३. मेत्तेय्यो उत्तमो रामो, पसेनदिकोसलोभिभू ।
दीघसोणि च संकच्चो, सुभो तोदेय्यब्राह्मणो । नालागिरिपल्लेय्यो, बोधिसत्ता इमे दस । अनुक्कमेन सम्बोधि, पापुणिस्सन्ति नागते ।
. -पालि प्रापर नेम्स, भाग २, पृ० २९५,
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