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१२८ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन सभी में बुद्धत्व सहजरूप से विद्यमान है और सभी में बोधि-प्राप्ति को उत्कण्ठा है । किन्तु हीनयान के अनुसार बुद्धत्व सबमें नहीं है। अष्टांगमार्ग की साधना कर लोग इसे अजित कर सकते हैं। ग. सामान्य व्यक्ति को स्थिति
हीनयान में गृहस्य और भिक्षु में काको अन्तर है किन्तु महायान में यह अन्तर काफी कम हो गया है । घ. निर्वाण के अर्थ में भेद
हीनयान के अनुसार निर्वाण शान्ति या पूर्ण विराम की अवस्था है । यह एक गुण है जिसकी अष्टांग मार्ग द्वारा प्राप्ति होती है। महायान के अनुसार संसार और निर्वाण में कुछ भी अन्तर नहीं है । ङ. कर्म तथा परिवर्त का सिद्धांत
हीनयान में प्रत्येक व्यक्ति को अपने शुभ-अशुभ कर्मों का फल भोगना पड़ेगा । उससे कोई बचा नहीं रह सकता, किन्तु महायान में बुद्ध करुणा करके दुःख-सन्तप्त व्यक्ति को अपने शुभ कर्मों का फल प्रदान कर दुःख से मुक्त कर सकते हैं। ___ संक्षेप में हीनयान का बुद्ध कल्याण मार्ग का उपदेष्टा है जबकि महायान का बुद्ध परम कारुणिक है वह अपना पुण्य सम्भार दूसरों को देकर उन्हें दुःख से त्राण देता है। ९. बुद्धत्व का अधिकारी कौन ? (अ) निदान कथा के अनुसार बुद्धत्व के लक्षण
निदानकथा के अनुसार आठ लक्षणों से युक्त को हो बुद्धत्व प्राप्त हो सकता है'-मनुष्ययोनि, पुरुषलिंगो, हेतु (बुद्ध बीज), शास्ता का दर्शन, प्रवजित होना (प्रव्रज्या), गुण-सम्प्राप्ति, अधिकार तथा छन्दता । १. मनुष्य योनि
बौद्ध धर्म में बुद्धत्व प्राप्ति के लिए मनुष्ययोनि में जन्म लेना आवश्यक बताया गया है, पशु, पक्षी, देवता आदि कोई भी इनका अधिकारी १. मनुस्सत्तं लिंगसम्पत्ति हेतु सत्थारदस्सनं । पब्बज्जा गुणसम्पत्ति, अधिकारी च छन्दता ।।--निदानकथा ३४ ।
-उद्धव निदानकथा-भूमिका, पृ० ३८ (हरिदाससंस्कृत ग्रन्थमाला)
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