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बुद्धत्व को अवधारणा : १२७
प्राप्ति में अनन्त काल लग जायें । जब कि हीनयान में अर्हत् अपने ही निर्वाण तक सीमित रहता है ।
५. उपाय - कोशल
afra का लक्ष्य प्राणिमात्र को निर्वाण के शाश्वत आनन्द की अनुभूति कराना है । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह असंख्य उपायों का प्रयोग करता है । वह प्रत्येक व्यक्ति के निर्वाण के लिए उसी उपाय को काम में लाता है जो उसकी परिस्थिति और बौद्धिक क्षमता के सबसे अधिक अनुकूल होता है । अर्हतु ऐसा कोई उपाय नहीं करते हैं । ६. उच्चतर आध्यात्मिक उपलब्धि
हीनयान में साधक की सर्वोच्च उपलब्धि अर्हतु का पद है । किन्तु महायान में साधक बुद्धत्व को प्राप्त करता है । बुद्ध की समस्त आध्यात्मिक शक्तियाँ उसे उपलब्ध हो जाती हैं ।
७. वृहत्तर क्रिया
बुद्धत्व को अवस्था प्राप्त करने पर बोधिसत्व ब्रह्माण्ड की दसों दिशाओं में प्रत्येक स्थल पर अपने को प्रकट कर सकता है। वह प्राणियों की आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर उन्हें निर्वाण का अमृत पद प्राप्त कराता है । जबकि हीनयान में ऐसा कोई दावा नहीं किया जाता है ।
बुद्धत्व के सम्बन्ध में हीनयान तथा महायान का अन्तर
प्रोफेसर बी० एल० सुजुकी ने हीनयान और महायान का अन्तर इस प्रकार स्पष्ट किया है ।'
क. बुद्धत्व को व्याख्या
में वे एक
हीनयान में बुद्ध एक ऐतिहासिक व्यक्ति हैं, किन्तु महायान तात्विक और आध्यात्मिक सत्ता हैं । संसार में अब तक असंख्य बुद्ध हो चुके हैं और असंख्य होंगे । शाक्य मुनि बुद्ध उन्हीं में से एक हैं । परमतत्व धर्मकाय है, वही प्राणियों के उद्धार के लिए बुद्ध के रूप में अवतार लेता है और अवतार के पूर्व तुषित लोक में विहार करता है । धर्मकाय के इन रूपों को क्रमशः निर्माणकाय और सम्भोगकाय कहते हैं ।
ख. बुद्धत्व की प्राप्ति
महायान में प्रत्येक व्यक्ति बुद्धत्व की प्राप्ति का अधिकारी है क्योंकि १. उद्धृत भारतीय दर्शन, पृ० १८०-१८१ ( डॉ० नन्द किशोर देवराज )
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