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________________ - तीर्थकर की अवधारणा : ८३ काठियावाड़ में प्रभासपट्टन नामक स्थान से प्राप्त एक ताम्रपत्र को पढ़कर बताया है कि वह बाबल देश (Babylonia) के सम्राट् नेबुशदनेजर ने उत्कीर्ण कराया था, जिनके पूर्वज रेवानगर के राज्याधिकारी भारतीय थे। सम्राट नेबशदनेजर ने भारत में आकर गिरनार पर्वत पर नेमिनाथ भगवान् की वन्दना की थी। इससे नेमिनाथ की ऐतिहासिकता स्पष्टरूप से सिद्ध हो जाती है। जैन परम्परा के अनुसार अरिष्टनेमि कृष्ण के चचेरे भाई थे। अंतकृत्दशांग के अनुसार कृष्ण के अनेक पुत्रों और पत्नियों ने अरिष्टनेमि के समीप संन्यास ग्रहण किया था। जैन आचार्यों ने इनके जीवनवृत्त के साथ-साथ कृष्ण के जीवनवृत्त का भी काफी विस्तार के साथ उल्लेख किया है। जैन हरिवंशपुराण में तथा उत्तरपुराण में इनके और श्रीकृष्ण के जीवनवृत्त विस्तार के साथ उल्लिखित हैं। ऋग्वेद में अरिष्टनेमि के नाम का उल्लेख है। किन्तु नाम उल्लेख मात्र से यह निर्णय कर पाना अत्यन्त कठिन है कि वेदों में उल्लिखित अरिष्टनेमि जैनों के २२वें तीर्थकर हैं या कोई और। जैनपरम्परा अरिष्टनेमि को श्रीकृष्ण का गुरु मानती है। इसी आधार पर कुछ विद्वानों में छान्दोग्य उपनिषद् में देवकी पुत्र कृष्ण के गुरु घोर अंगिरस के साथ अरिष्टनेमि की साम्यता बताने का प्रयास किया है। धर्मानन्द कोशाम्बी का मन्तव्य है कि अंगिरस भगवान् नेमिनाथ का ही नाम था। यह निश्चित ही सत्य है कि अरिष्टनेमि और घोर अंगिरस दोनों ही अहिंसा के प्रबल समर्थक हैं किन्तु इस उपदेश साम्यता के आधार पर दोनों को एक मान लेना कठिन है। अरिष्टनेमि की नाम साम्यता बौद्धपरम्परा के अरनेमि बद्ध से भी देखी जाती है जो विचारणीय है । २३. पाश्वनाथ-तीर्थकर पार्श्व को वर्तमान अवसर्पिणी काल का तेईसवाँ तीर्थंकर माना गया है। महावीर के अतिरिक्त जैन तीर्थंकरों में पाश्र्व ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनको असन्दिग्धरूप से ऐतिहासिक व्यक्ति माना जा सकता है। इनके १. ऋग्वेद १३१४।८९।६, १।२४।१८०।१०, ३॥४५३॥१७, १०।१२।१७८।१ । २. छान्दोग्योपनिषद्, ३।१७।४-६ । ३. समवायांग, गाथा २४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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