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________________ प्रागैतिहासिक काल की जैन साध्वियाँ एवं विदुषी महिलाएं : २७ की साधना करते हुए केवलज्ञान की प्राप्ति की और बाद में निर्वाण प्राप्त किया। यह आदर्श महिला तीर्थंकर अरिष्टनेमि के पूर्व ही मोक्ष को प्राप्त हुई। देवको: ____ जैन धर्म के इतिहास में परमयोगी श्रीकृष्ण वासुदेव की माता देवकी के वात्सल्य-भावों का वर्णन इस प्रकार से किया गया है। देवकराजा को पुत्री तथा कंस की बहिन का विवाह सौरीपुर के राजा वसुदेव से हुआ था। "बहिन देवकी के पूत्रों द्वारा मेरी मत्यु होगी" इस भविष्यवाणी के आधार पर कंस ने देवकी और वसुदेव से उनके पुत्रों को अपने अधीन रखने का वचन ले लिया था। विवाह के पश्चात् देवकी ने क्रमशः छः बार गर्भ धारण किये परन्तु प्रसवकाल में ही देवकी के वे छः पुत्र सुलसा गाथापत्नी के यहाँ तथा सुलसा के छः मत पुत्र देवकी के यहाँ हरिणगमेषी नामक देव ने अपनी देवमाया द्वारा अज्ञात रूप से पहुंचा दिये। उन छः पुत्रों को वसुदेव ने अपनी प्रतिज्ञानुसार प्रसव के तुरन्त पश्चात् ही कंस को सौंपा और कंस ने उन्हें मृत समझकर फेंक दिया। सातवीं बार जब देवकी ने गर्भ धारण किया तो सात शुभ स्वप्नसिंह, सूर्य, अग्नि, गज, ध्वज, विमान और पद्म सरोवर देखकर जागृत हुई । वसुदेव ने स्वप्न का अर्थ बताते हुए कहा-"तुम भाग्यशाली पुत्र को माता बनोगी यह सुन कर वह पति से संतान रक्षा हेतु आर्द्र स्वर में अनुनय करने लगी। वसुदेव ने देवकी को आश्वस्त किया और तेजस्वी पुत्र के जन्म लेते ही उसे अपने मित्र नंद-यशोदा के यहाँ गोकुल में छोड़ आये । माता देवको सात-सात पुत्रों की जननी होते हुए भी अपनी गोद में किसी पुत्र की बाल-क्रीड़ा नहीं देख सकीं। एक समय तीर्थंकर अरिष्टनेमि अनेक श्रमणों के साथ द्वारिकापुरी पधारे । तीर्थंकर के समवसरण का समाचार सुन कर श्रीकृष्ण यादव १. उत्तराध्ययन सूत्र, अ० २२, पृ० २३२ २. अन्तकृद्दशा ६, उत्तराध्ययन २२.२, समवायांग १५९, कल्पसूत्रवृत्ति पृ० १७५, निशीथणि प्र० पृ० १०३ ३. आ० हेमचन्द्र-त्रिषष्टिशलाकापुरुष-पर्व ८, सर्ग ५, पृ० ३१० -आ० हस्तीमलजी-जैनधर्म का मौलिक इतिहास-भाग १, पृ० १६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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