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________________ स्थानकवासी ऋषि सम्प्रदाय को साध्वियों का संक्षिप्त परिचय : २८३ साध्वी श्री अमृतकुवर जी ये भोपाल (मालवा ) की रहनेवाली थी । इनका जन्म गोड़ जाति में हुआ था । नौ वर्ष की अवस्था में इनका विवाह इच्छावर में हुआ किन्तु एक माह में ही विधवा हो गईं। आपने साध्वी श्री गंगा जी से दीक्षा ग्रहण की। बांबोरी में आपने साध्वी श्री हेमकुँवर जी, साध्वी श्री जयकँवर जी और साध्वी राधा जी को दीक्षा प्रदान की। आपका स्वर्गवास बरार प्रांत में हुआ। साध्वी श्री हेमकुंवरजी इनका जन्म सं० १९४५ में भाद्रपद कृष्ण १४ को पूना जिले के भिवरी में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम क्रमशः भोमबाई और फोजमल था । परिवार द्वारा विध्न उपस्थित करने पर भी ये वडुले में सं० १९५३ माघ शुक्ल १५ के दिन साध्वी श्री गंगाजी से दीक्षा ग्रहण कर साध्वी श्री अमृतकुंवरजो की निश्रा में शिष्या हुई। मालवा, खानदेश, आदि प्रान्त आपके विचरण स्थल रहे । साध्वी श्री जयकुवरजी .' ये बांबोरी निवासी श्रीमान् हजारीमलजी पगारिया की पुत्री थीं। इनका विवाह श्रीमान् फोजमलजी खिंवसरा ( भिवरी, पूना ) के साथ हुआ था। ये २५ वर्ष की अवस्था में सं० १९५४ चैत्र शक्ल ९ के दिन साध्वी श्री अमृतकुंवरजी से दीक्षा ग्रहण की। इनकी तीन शिष्याएँ हुई । (१) श्री गुलाबकुँवरजी, (२) श्री रामकुंवरजी ( ३ ) श्री दुर्गाकुँवरजी। साध्वी श्री गुलाबकुवरजी __ ये सरावगी जाति में अजंड ग्राम में पैदा हुई थीं। ये १८ वर्ष की वय में संवत् १९६४ माघ शुक्ल ५ ( पंचमी ) को साध्वी श्री जयकुँवरजी की शिष्या बनीं। सं० १९९० मार्गशीर्ष ८ (अष्टमी) के दिन बरड़ावदा ( मध्य भारत ) में स्वर्गवासी हुई। साध्वी श्री रामकुवरजी ये ललितपुर की रहनेवाली थीं। इनके माता-पिता का नाम क्रमशः श्रीमती मूलीबाई और श्रीमान् गिरधारीलालजी था। सं० १९८९ फाल्गुन शुक्ल ९ ( नवमी), सोमवार के दिन १४ वर्ष की अवस्था में साध्वी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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