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________________ २८२ : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां एवं महिलाएं शरीर का त्याग किया। इनकी २३ शिष्याएँ हुईं । १. श्री रंगु जी, २. श्री बड़े सुन्दर जी ३. श्री हुलासा जी ४. श्री सूरजकुँवर जी ५. श्री बड़े राजकुँवर जी ६. श्री बड़े केसर जी ७. श्री कस्तूरा जी ८. श्री छोटे सुन्दर कँवर जी ९. श्री शांति कँवर जी १०. श्री सदा कँवर जी ११. श्री छोटे राजकँवर जी १२. श्री प्रेमकँवर जी १३. श्री श्रेयकँवर जी १४. श्री चन्द्रकुँवर जी १५. श्री जडावकुँवर जी १६. श्री सुव्रता जी १७. श्री चाँद कँवर जी १८. श्री पान कँवर जी १९. श्री जसकँवर जी २०. श्री सरस कुँवर जी २१. रम्भा जी २२. श्री केसर जी २३. श्री सोना जी। साध्वी श्री सुमतिकंवर जी - इनका जन्म सं० १९७३ चैत्र शु० १० को घोड़नदी में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम श्रीमती हुलासबाई और श्री हस्तीमल जी दूगड़ था । इन्होंने बाल्यकाल में ही साध्वी रामकंवर से धार्मिक शिक्षा प्राप्त की थी । विवाह के १८ महीने बाद ही पति का देहावसान होने से सं० १९९२ में दीक्षा ग्रहण कर ली । इनका नाम सुमतिकंवर रखा गया। दीक्षा के बाद इन्होंने संस्कृत, प्राकृत, न्याय, व्याकरण, आगम साहित्य का अच्छा अध्ययन किया। इन्होंने देश के सभी क्षेत्रों में विहार किया है। वर्तमान में राजगृह में विराजित हैं। इनकी साध्वी चन्दनाजी आदि अनेक विदुषी और प्रतिभाशालिनी शिष्याएँ हैं। साध्वी श्री गंगा जी साध्वी श्री गंगा जी ने साध्वी श्री झुमकू जी से दीक्षा ग्रहण को । अपना सम्पूर्ण जीवन संयम और सेवा में बिताया। आपने मालवा, मेवाड़ और मारवाड़ा में विचरण किया । वृद्धावस्था में रतलाम के साहुबाबाड़ी नामक धर्म स्थानक में स्थिरवास विराजित रहीं। वहीं आपका स्वर्गवास भी हुआ। इनकी दो शिष्याएँ हुई। साध्वी श्री राजकुँवर जी और साध्वी श्री सुमति कुँवर जी। साध्वी श्री गंगा जी (द्वितीय) इनका जन्म राजपूत जाति में हुआ था। आप संवत् १७२५ में सपरिवार रतलाम आयीं और साध्वी श्री दयाकुँवर जी से दीक्षित हुई । शास्त्रीय ज्ञान प्राप्त कर आपने मालवा, मेवाड़, मारवाड़ आदि प्रान्तों में धर्मोपदेश दिया । भोपाल में आपने श्री अमृता जी को अपनी शिष्या बनाया । आपका वर्गवास सुजालपुर ( मालवा) में हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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