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________________ ८-१५वीं शताब्दी की जैन साध्वियों एवं महिलाएँ : १९५ स्थापत्यकला की सूक्ष्मता किसी मनोगत भाव का स्थूल प्रतीक है। कला सामग्री के बाह्य रूप से हमें उस समय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करने में सुविधा होती है। इतने कलात्मक भव्य मंदिर की देखरेख करने तथा उस कार्य में सक्रिय मार्गदर्शन देने की निपुणता व क्षमता इस अनुपमा नारी में अवश्य रही होगी। यह भी उल्लेख प्राप्त होता है कि इन्होंने शत्रुजंय मंदिर-निर्माणमें भी अपने सुझाव दिये थे, जो मान्य किये गये थे। __ अध्यात्म-रसिक पंडित देवचन्दजी को अठारहवीं शताब्दी के श्राविकाओं के लिखित दो पन्ने मिले हैं, जिसमें अनुपमा श्राविका के गुणगान किये गये हैं, तथा वे कितनी विदुषी एवं अध्यात्मानुभूतिपूर्ण थीं, उसका भी वर्णन है । अनुपमा वास्तव में अनुपम गुणों की भंडार थी। नीतादेवी: ___ आप गुजरात के क्षत्रिय राजा शान्तिदेव के पुत्र विजयपाल की नीतिज्ञ तथा राज्य संचालन के गुणों से विभूषित रानी थीं। विद्वान् मुनि विद्याकुमार के सदुपदेश से रानी नीतादेवी ने पाटण में पार्व जिनेश्वर के चैत्य और पौषधशाला का निर्माण करवाया । अञ्चलगच्छ की प्रमुख साध्वियाँ सोमाई : अंचलगच्छ की स्थापना सन् १०७९ में आचार्य आर्यरक्षित सूरिजी ने की । वे उस युग में अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे। एक समय आचार्य विहार करते हए 'बेपाण' नगर में आये और श्रावक कोडी एवं उसकी पुत्री सोमाई को प्रतिबोध दिये। ऐसी कहावत है कि सोमाई एक करोड़ मूल्य के सोने के गहने पहनती थी। आचार्य का 'संसार नश्वर है' यह उपदेश सुनकर उसने सब त्याग दिया और दीक्षा ग्रहण की। यह अंचलगच्छ की प्रथम महत्तरा हई जिसका नाम 'समयश्रीजी' रखा गया। इनकी अगुवाई में अन्य महिलाओं ने भी दीक्षा ग्रहण की-जिनकी संख्या एक हजार एक सौ तीस थी। महत्तरा समयश्रीजी इनकी प्रमुख थीं। १. वासुदेवशरण अग्रवाल-भारतीय कला के मुख्य तत्त्व-(उद. मुनिजिन विजय अभिनन्दन ग्रन्थ), पृ० २४६ २. (क) पं० ला० भ० गांधी-ऐतिहासिक लेख संग्रह, पृ० ३४१ (ख) जैन पाटण भंडार ग्रन्थ सूची नं ७६, पृ० २८० ३. अंचलगच्छ का दिग्दर्शन, पृ० ११७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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