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________________ महावीरोत्तर जैन साध्वियां एवं महिलाएं : १५५: संन्यासी) होते हुए भी आत्मोन्नति के लिये एक दूसरे को प्रेरणा देते रहते थे । आज भी यह प्राचीन परम्परा कायम है। साध्वी ईश्वरी: सोपारक नगर में जिनदत्त श्रावक तथा श्राविका ईश्वरी जैन धर्म पर पूर्ण श्रद्धा रखते थे । उस समय बारह वर्ष का दुष्काल चल रहा था । भोजन बहत मुश्किल से जुटा पाते थे। एक दिन इस दुःख से छुटकारा पाने के लिये ईश्वरी ने कई प्रकार के व्यंजन बनाये और मन में सोचा कि इसमें विष मिला दूं ताकि प्रतिदिन का दारुण दृश्य देखना न पड़े ।' इतने में आचार्य वज्रस्वामी के शिष्य वज्रसेन आहार के लिये आये और अति उत्तम भोजन देखकर उन्हें गुरु की बात याद आ गई। उन्होंने श्राविका से कहा, 'अब दुर्भिक्ष दूर हो जायेगा' और ईश्वरी ने गुरु के वचनों पर विश्वास किया। दूसरे दिन जहाज द्वारा धान्य आ. जाने से सुकाल हो गया। इस घटना से प्रभावित होकर ईश्वरी ने संसार त्याग कर दीक्षा ग्रहण को और आत्मोन्नति करने में अपना शेष जीवन व्यतीत किया । पति जिनदत्त ने भी नागेन्द्र, चन्द्र, निवृत्ति और विद्याधर नामक चार पुत्रों सहित दीक्षा ग्रहण को । आर्य वज्रसेन के इन चार पुत्रों से जैन श्रमणसंघ में नागेन्द्र, चन्द्र, निवृत्ति और विद्याधर नामक कुल उत्पन्न हुए। साध्वी रुद्रसोमा : __ रुद्रसोमा दशपुर के महाराज के राजपुरोहित सोमदेव की पत्नी थी। रुद्रसोमा ने वी. नि. सं. ५२२ में एक महान् भाग्यशाली पुत्र रक्षित को जन्म दिया। रक्षित को उच्च शिक्षा के लिये पाटलिपुत्र भेजा गया। वी. नि. सं. ५४४ में जब वह सभी विद्याओं में पारंगत होने के पश्चात् दशपुर लौटा तो उसका बड़े ठाट-बाट से स्वागत समारोह किया गया । १. (क) उपा० विनयविजयजी-कल्पसूत्र-पृ० १३८ (ख) आ० हस्तीमलजी-जैन धर्म का मौलिक इतिहास-भाग २, पृ० ७९७ २. आवश्यकचूणि प्र० पृ० ३९७, ४०१, आवश्यकनियुक्ति ७७६, विशे षावश्यक २७८७, उत्तराध्ययननियुक्ति और उत्तराध्ययनवृत्ति (शान्तिसूरि) पृ० ९६-९७ ३. उपा० अमरमुनिजी-पूर्व इतिवृत्त-रत्नमुनि स्मृति ग्रन्थ-पृ० २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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