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________________ १४० : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएँ से बदला लेने का षड्यंत्र रचने लगा। मंत्री शकडाल को जब इस घृणित षड्यंत्र का पता चला तो राज्य तथा कुटुम्ब को बचाने का निर्णय किया। इस हेतु उसने अपने छोटे पुत्र को राज्य दरबार में स्वयं का वध करने का आदेश दिया। श्रेयांक ने पिता की आज्ञानुसार राजदरबार में ही पिता का वध कर दिया। पिता के त्याग और बलिदान से पुत्रियों को गहरा आघात लगा और जीवन की क्षणभंगुरता को देखते हुए उन्होंने संसार त्यागने का दृढ़ संकल्प किया। __ मंत्री शकडाल की मृत्यु के पश्चात् नंद शासन की परम्परानुसार राजा ने ज्येष्ठ पुत्र स्थूलभद्र को इस उत्तरदायित्वपूर्ण पद को ग्रहण करने का आग्रह किया । राजभक्त पिता के बलिदान तथा स्वयं के विलासपूर्ण जीवन की तुलना करते हुए प्रतिभा सम्पन्न स्थूलभद्र ने जीवन के उच्च धरातल अर्थात् निवृत्तिमार्ग का अनुसरण किया और बाद में आचार्य संभूतिविजय के पास प्रव्रज्या ग्रहण की। यक्षा, यक्षदत्ता आदि स्थूलभद्र को सातों बहनों ने भी आचार्य संभूतिविजय के पास दीक्षा ग्रहण की तथा महावीर द्वारा स्थापित साध्वी संघ में सम्मिलित होकर निवृत्तिमार्ग में प्रवृत्त हुईं। एक बार साध्वी यक्षा ने अपने भाई श्रेयांक को पर्युषण पर्व में शारीरिक तप का महत्त्व समझाते हुए तपस्या करने को कहा। श्रेयांक क्षुधा-पीड़ा को सहन नहीं कर सके और भूख की व्याकुलता से उसका देहान्त हो गया | साध्वी यक्षा को इस अप्रत्याशित घटना से बहुत दुःख हुआ और ऋषिघातक अपराध का प्रायश्चित्त लेने हेतु संघ के पास गई । यद्यपि संघ के चारों वर्गों ने (साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका) शद्ध भाव से प्रेरणा देने के कारण प्रायश्चित्त लेने की आवश्यकता को मान्य नहीं किया, फिर भी १. आ० विनयविजयसूरि-कल्पसूत्र, पृ० १३२ २. रतिभानुसिंह नाहर-प्राचीन भारत का राजनैतिक व सांस्कृतिक इतिहास, पृ० २२३ ३. आवश्यकचूणि-भाग २, पृ० १८३ आ० विनयविजयसूरि-कल्पसूत्र, पृ० १३२ ४. प्रश्नोत्तर रत्न चिन्तामणि तथा अठारह दुषण निवारण, पृ० २ ५. वही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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