SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महावीरोत्तर जैन साध्वियाँ एवं महिलाएं : १३३ धारिणी: धारिणी राजगृह के धन कुबेर श्रेष्ठि ऋषभदत्त की भार्या थी। पति-पत्नी दोनों धार्मिक, दयालु, दृढ़प्रतिज्ञ एवं दानशील थे। धारिणी शीलवती, निष्कलंक एवं स्वच्छ स्फटिक मणि के समान निर्मल स्वभाव वाली तथा जैन धर्म के प्रति अटूट आस्थावान् थी। लेकिन निःसंतान होने से धारिणी चिन्तित एवं दुःखी रहती थी। कालांतर में निष्कपट भाव से निरंतर धर्म आराधना करने से धारिणो ने गर्भ धारण किया और सुधर्मा स्वामी द्वारा विघ्न बतलाने पर एक सौ आठ आयंबिल (आचाम्ल) व्रत किया। गर्भ के प्रवेश पर धारिणी ने जम्बू फल का स्वप्न देखा और उसके बाद गर्भ का यथोचित पालन किया। गर्भकाल पूर्ण होने पर धारिणी ने एक महातेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। बाल्यकाल पूर्ण होने पर उसने अपने पुत्र का आठ श्रेष्ठिकन्याओं से वाग्दान किया। बाद में पुत्र के दीक्षित होने पर माता ने भी दीक्षा ग्रहण की। एक समय आचार्य सुधर्मास्वामी अपने धार्मिक परिवार (साधु, साध्वी) के साथ राजगृह आये । यहाँ श्रेष्ठि पुत्र जंबूकुमार ने इनके प्रवचन तथा धार्मिक सिद्धान्तों से प्रभावित होकर नवविवाहित आठ पत्नियों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की । इस प्रसंग में वर्णित कथानक निम्नवत् है राजगृह के संपन्न एवं समृद्ध श्रेष्ठि ऋषभदत्त अपनी पत्नि धारिणी के साथ आचार्य के दर्शन एवं उनके धार्मिक प्रवचन सुनने गये। उनके इकलौते पुत्र जंबूकुमार भी अपनी मित्र मण्डली के साथ आचार्य के पास गये। वैराग्यमय धार्मिक उपदेश से जंबूकुमार इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने प्रवचन के पश्चात् आचार्य से श्रावक व्रत ग्रहण किये तथा आजीवन ब्रह्मचर्य रहने की प्रतिज्ञा को ।। तत्कालीन सामाजिक प्रथा के अनुसार रूप, गुण तथा अनेक कलाओं १. वही पृ० २०४ २. (क) मुनि रत्नप्रभ सूरि-जम्बू चरित्र (ख) विजयविनयजी-कल्पसूत्र सुबोधिका टोका। ३. उपा० विनयविजयजी-कल्पसूत्र-सुबोधिका टीका-पृ० १२० ४. (क) वही, पृ० १३० (ख) जिनविजयजी-जंबू स्वामी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy