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________________ तीर्थकर महावीर के युग की जैन साध्वियां एवं बिदुषी महिलाएँ : १२१ रही, जिससे सभी कुटुम्बीजन इस नारी का गुणगान करने लगे। सुभद्रा : सुभद्रा राजगृह नगर के श्रेष्ठी धन्या की पत्नी थी, उसकी माता का नाम भद्रा तथा भाई का नाम शालिभद्र था। सुभद्रा को अपने भाई शालीभद्र के त्याग और एकाएक वैराग्य भावना की ओर झुकाव की घटना विदित हुई कि वे प्रतिदिन एक-एक पत्नी तथा एक-एक शय्या का परित्याग कर रहे हैं। इस संवाद से सुभद्रा बहुत ही उदास व चिन्तित रहने लगी। इसी मानसिक तनाव में एक दिन जब वह अपने पति धन्ना श्रेष्ठी को स्नान करवा रही थी उसी समय उसके नेत्र से गरम आंसू की बूंदे पति की पीठ पर गिर पड़ीं। सुकोमल अंगों वाले श्रेष्ठी अश्रु बँद की उष्णता से विचलित हो उठे। उन्होंने इसका कारण जानना चाहा । पति के आग्रह पर सुभद्रा ने बताया कि मेरा भाई शालिभद्र प्रतिदिन वैराग्य की ओर अग्रसर होता जा रहा है। साथ ही प्रतिदिन एक-एक शय्या तथा एक-एक पत्नी का त्याग कर रहा है। इस पर धन्ना श्रेष्ठी ने शालिभद्र के क्रमशः त्याग को उसकी निर्बलता तथा कायरता बताया। उन्होंने कहा कि यदि त्याग करना ही है तो उसे एक साथ ही क्यों न कर दिया जाय । भाई के त्याग के प्रति पति के इस कथन ने सुभद्रा के मन को चंचल बना दिया अतः वह बोल पड़ी-"कहना तो सरल है किन्तु करना कठिन होता है । यदि त्याग इतना ही सहज है तो आपको ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये" । धन्ना ने प्रत्युत्तर में मात्र इतना कहा कि, "मेरे व्रत में एक मात्र तुम्हीं बाधक रही लेकिन अब मुझे इसका बोध हो गया है कि स्त्री, धन आदि सांसारिक आकर्षण नश्वर है । अतएव मैं भी अवश्य दीक्षा लूंगा'। पति के गृहत्याग के दृढ़ संकल्प ने सुभद्रा के नारी हृदय को उद्वेलित किया, किन्तु जब सुभद्रा को यह आभास हो गया कि उसके पति अपने १. (क) आवश्यकचूर्णि भाग २ पृष्ठ २६९-२७० आवश्यकनियुक्ति, पृ० ४८ (ख) प्राकृत प्रॉपरनेम्स पृ० ८२७ (ग) 'कल्याण' का नारी अंक पृ० ७१२ दिगम्बर सम्प्रदाय के साहित्य में नोलीबाई का वर्णन सती सुभद्रा के __ समान ही है। २. श्रेष्ठी धन्या की पत्नी सुभद्रा का उल्लेख स्थानांगवृत्ति (अभयदेव) पृ० ५१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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