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________________ “१०८ : जैनधर्म को प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएं पुष्पा सुख-सुविधाओं में अपना जीवन सानन्द व्यतीत करती थी। एक समय कांपिल्य नगर के सहस्त्रावन उद्यान में भगवान महावीर का आगमन हुआ। उनके पहुँचने का समाचार नगर में फैलते ही जनसमूह दर्शनार्थ एकत्रित हो गया। कुण्डकौलिक भी महावीर की परिषद् में धर्मदेशना सुनने के लिये गया। धर्मदेशना श्रवण कर श्रेष्ठी अत्यन्त प्रभावित हुआ। अणुव्रतों के अनुसार उसने वैभव को सीमित कर अपनो सम्पदा की मर्यादा निश्चित की। पतिसे प्रेरणा पाकर पत्नी पूष्पा ने भी समवसरण में जाकर श्राविका के बारह व्रत अंगीकार किये । कालांतर में पुष्पा ने श्राविका धर्म का पालन करते हुए अपने धर्मनिष्ठ पति को सहयोग दिया और अपना भी कल्याण किया ।' अग्निमित्रा : _अग्निमित्रा, पोलासपुर नगर के धनाढ्य कंभकार सद्रालपुत्र की धर्मपत्नी थी। अग्निमित्रा के पति की मंखलि गोशालक द्वारा प्रतिपादित धर्म सिद्धान्तों में आस्था थी। कुम्भकार दम्पती अतुल वैभव सम्पदा के मध्य जीवन व्यतीत कर रहा था। ___ "हे सदालपुत्र ! नगर में त्रिकालदर्शी महामानव का आगमन हो रहा है, तुम उनके वन्दन के लिये जाना"। इस मंगल-संवाद से सद्दालपुत्र अपने गुरु मंखलि गोशालक का आगमन जानकर हर्षित हुआ । सद्दालपुत्र ने उद्यान में हो रही धर्मसभा में देखा कि उसके परम पावन गुरु की आसन्दो पर तीर्थंकर महावीर विराजमान हैं। उसने भगवान् का अभिवन्दन किया। भगवान् महावीर ने सद्दालपुत्र को कर्मवाद का उपदेश दिया। कुम्भकार अत्यन्त प्रभावित हुआ और गृहस्थ धर्म के सच्चे स्वरूप को समझ कर द्वादश व्रत अंगीकार किया। भगवान् महावीर का वन्दन कर वह स्वगृह आया। उसने अपनी सहमिणो अग्निमित्रा को तीर्थंकर महावीर का धर्म समझाते हुए परिषद् में जाने की प्रेरणा दी। __ पति से प्रेरणा पाकर धर्मपरायणा कुशल गृहिणी, ऐश्वर्यशालिनी अग्निमित्रा सहस्त्राभवन उद्यान में हो रही परिषद् में रथ में बैठकर गई। उसके साथ बड़ो संख्या में सेविकाएँ थीं, उसने श्रद्धा से तीन बार महावीर १. पू० घासीलालजो-उपासकदशांग-अ० ६, सूत्र १६९, पृ० ४०५ २. उपासकदशांग, सू० ३९ . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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