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तीर्थकर महावीर के युग की जैन साध्वियां एवं विदुषी महिलाएं : ९५ इसमें अट्ठाइस दिन पारणे के और एक वर्ष दो महीने चौदह दिन तपस्या के होते हैं। चारों परिपाटी को पूरा करने में पाँच वर्ष नौ महीने अट्ठारह दिन लगते हैं। सूकाली आर्या ने भी काली आर्या की तरह किया और चारित्र पालन कर साठ भक्तों का अनशन कर केवलज्ञान प्राप्त किया और मुक्तात्मा हुई।' महाकाली:
महाकाली राजा श्रेणिक की रानी और कूणिक राजा की छोटो माता थी। पुत्र की अकाल मृत्यु तथा भगवान् महावीर के उपदेश श्रवण से उन्हें वैराग्य हुआ। सुकाली आर्या की तरह आर्या चन्दनबाला से दीक्षा लेकर सामायिकादि ११ अंगसूत्रों का अध्ययन कर अनेक प्रकार की छोटी बड़ी तपस्या की । एक समय आर्या चन्दनबाला की आज्ञा प्राप्त कर इस साध्वी ने 'लघुसिंहनिष्क्रीड़ित' तप प्रारम्भ किया । इस एक परिपाटी में छ: महीने सात दिन लगे । इस प्रकार महाकाली आर्या ने चार परिपाटी की जिनमें दो वर्ष और अट्ठाइस दिन लगे।
इस प्रकार महाकाली आर्या ने सूत्रोक्त विधि से 'लघुसिंहनिष्क्रीड़ित तप' की आराधना की। अन्तिम समय में संथारा करके सम्पूर्ण कर्मों का क्षय कर मोक्ष गई। इस आर्या ने दस वर्ष तक चारित्र का पालन किया।
कृष्णा३:
राजा श्रेणिक की रानी कृष्णा चम्पा के महाराजा कूणिक की छोटी माता थी। पुत्र की मृत्यु के समाचार तथा भगवान् के उपदेश से इन्हें वैराग्य उत्पन्न हुआ और इन्होंने आर्या चन्दनबाला के समीप दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा लेकर आचार्या को आज्ञा से 'महासिंहनिष्क्रोडित' तपस्या की। इस तपस्या की चार परिपाटी में ६ वर्ष २ महीने और १२ दिन लगे। इस तरह कृष्णा आर्या ने 'महासिंहनिष्क्रीडित' तप शास्त्रोक्त विधि से पूरा किया। इस कठोर तप-साधना के कारण कृष्णा साध्वी का देह
१. (क) त्रिषष्टिशलाकापुरुष , पर्व १०, सर्ग १२, पृ० २४६
(ख) निरयावलिका अध्ययन, १
(ग) एम० सी० मोदी-अंतगड़दसाओ-अट्ठमो वग्गो, सूत्र १८, पृ० ५६-५७ २. अन्तकृद्दशा १९, २६ ३. एम० सी० मोदी-अंतगड़दसाओ-अट्ठमो वग्गो, सूत्र १९, पृ० ५७-५८
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