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________________ ९६ : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां एवं महिलाएं क्षीण हो गया। इन्होंने ११ वर्ष तक दीक्षा पर्याय का पालन करते हुए मोक्षपद प्राप्त किया। सुकृष्णा : रानी सुकृष्णा चम्पा के राजा कूणिक की लघु माता एवं राजगृह के महाराजा श्रेणिक की रानी थी। पुत्र की अकाल मृत्यु तथा भगवान् महावीर के उपदेश से उन्हें संसार से विरक्ति हो गई और चन्दनबाला के पास दीक्षा ग्रहण कर सामायिकादि ग्यारह अंग सूत्रों का अध्ययन करने लगी। चन्दनबाला से आज्ञा लेकर सुकृष्णा ने अष्ट-अष्टमिका भिक्षु प्रतिमा तप किया। यह तपस्या चौसठ दिन रात में पूर्ण हुई। जिसमें आहार पाने की २८८ दत्ति हुई । सुकृष्णा ने शास्त्रोक्त विधि से इस अष्ट अष्टमिका प्रतिमा की आराधना की। इसके पश्चात् उन्होंने नव-नवमिका भिक्षु प्रतिमा तथा दस-दसमिका भिक्षु प्रतिमा तपस्या पूर्ण की। इस प्रकार यह तप उन पचास, चौंसठ, इक्यासी और एक वर्ष में पूर्ण हुआ । इस प्रकार इन भिक्ष प्रतिमाओं की शास्त्रोक्त विधि से आराधना कर सुकृष्णा आर्या अर्द्धमास खामण व मासखामण आदि विभिन्न प्रकार की तपस्या से आत्मा को भावित करतो हुई विचरने लगी। इस प्रकार घोर तपस्या के कारण सूकृष्णा आर्या अत्यधिक दुर्बल हो गई। अन्त में एक माह का संथारा करके सम्पूर्ण कर्मों का क्षय कर सिद्ध गति को प्राप्त हुई । इसने १२ वर्ष तक चारित्र का पालन किया था । महाकृष्णा: कूणिक राजा की छोटी माता तथा श्रेणिक राजा की छठी रानी का नाम महाकृष्णा था। इसने भी काली रानी की तरह भगवान् महावीर से प्रव्रज्या ग्रहण की। सामायिकादि ग्यारह अंग सूत्रों का अध्ययन किया। इसने 'लघुसर्वतोभद्र तप' किया। इस तप की चारों परिपाटी के पूर्ण करने में ४०० दिन लगते हैं। इस प्रकार शास्त्रोक्त विधि से तप की आराधना कर अन्त में संथारा ग्रहण किया और सिद्ध पद प्राप्त किया। इसने तेरह वर्ष तक चारित्र का पालन किया। १. एम० सी० मोदी-अन्तगड़दसाओ-अट्ठमो वग्गो, सूत्र २०, पृ० ५८ २. निरयावलिका १, ५, अन्तकृद्दशा-२१ ३. एम० सी० मोदी-अंतगड़दसाओ वग्गो, सूत्र २०१२१, पृ० ५८-६० ४. अन्तकृद्दशा २२ ५. एम० सी० मोदी-अन्तगड़दसाओ-अट्ठमो वग्गो, सूत्र २२, पृ०६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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