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________________ ७० : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियों एवं महिलाएं बाला ने एक महान तपस्वी को आते देखा तो उसके रोम-रोम हर्षित हो गये। अहा ! प्रभु मेरे हाथों आहार लेने आये हैं कितनी प्रसन्न थी वह, परन्तु यह क्या? प्रभु एक क्षण ठहरे और लौटना ही चाहते थे कि उसके नेत्रों से आँसुओं की धारा बह चली' जिससे प्रभु की अंतिम प्रतिज्ञा भी पूरी हो गई। आहार देते ही चन्दना के हाथों-पैरों की हथकड़ियां खुल गई और पूर्ण सुन्दरी बन गई। यह खबर नगर में चारों ओर फैल गई। जन समुदाय चन्दनबाला का दर्शन करने चल पड़ा। इस घटना से प्रभावित होकर राजा शतानीक ने क्षमा याचना की। सेठानी ने भी अपने कुकृत्यों पर पश्चात्ताप किया और क्षमा याचना की। भगवान् महावीर का उपदेश सुनकर चन्दनबाला को संसार से विरक्ति हो गई। चन्दनबाला ज्ञानवती, गुणवती, तपस्विनी थी ही, अतः दीक्षा ग्रहण कर महावीर की प्रथम शिष्या तथा श्रमणी संघ की प्रवर्तिनी का पद प्राप्त किया। इसके नेतृत्व में ३६ हजार साध्वियों का समुदाय था, जो ज्ञानार्जन और धर्माचरण करते हुए आत्म कल्याण में प्रवृत्त था। इस प्रकार मानव जाति का पथ-प्रदर्शन करते हुए चन्दनबाला ने दिव्य ज्ञान की प्राप्ति की। चन्दना का चरित्र शताब्दियों के बाद आज भी प्रेरणा का ज्योति स्तम्भ है। प्रभावती : प्रभावती महाराजा चेटक की पुत्री थी । उसका विवाह सिन्धु सौवीर राज्य के पराक्रमी राजा उदयन से हुआ था। उदयन की राजधानो वोतभय (नगर) उस समय के अन्य नगरों की तुलना में सबसे अधिक समृद्ध था। राजा व रानी श्रमणोपासक थे। सर्वगुण सम्पन्न अभिचि नामक पुत्र १. (क) कल्पसूत्र-हिन्दी अनुवाद, पृ० ८१ (ख) हस्तीमलजी महाराज-जैन धर्म का मौलिक इतिहास, पृ० ४८३ २. (क) उत्तर पुराण में चन्दना ने यशस्वती आर्यिका के समीप श्राविका व्रत ग्रहण करने का उल्लेख है । पृ० ४८४ (ख) त्रिषष्टिशलाकापुरुष, पर्व १०, सर्ग ६, पृ० १०० (ग) मुनि नथमलजी-जैन दर्शनः मनन और मीमांसा, पृ० ३० ३. आवश्यकचूणि दि० पृ० १६४; प्रश्नव्याकरणवृत्ति पृ० ८९; उत्तराध्ययन नियुक्ति पृ० ९६; भगवती ४९१; निशीथचूणि तृ० पृ० १४२-६ इत्यादि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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