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जैनेतर परम्पराधों में अहिंसा
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भोजन देना और उनपर चढ़ना, सामान लादना, पक्षियों को पिंजरे में बन्द करके रखना आदि का विरोध किया गया है। यहां तक कि इस्लाम वृक्षों को भी काटने के लिए नहीं कहता, क्योंकि वे फल देते हैं ।"
परन्तु खुदा, जिसे समदृष्टि वाला माना जाता है, मनुष्य के प्रति इतना उदार और अन्य जीवों के प्रति इस तरह निर्मम कैसे बन गया कि उसने आदमी को अन्य पशुओं को अपने काम में लाने के लिए इस कदर स्वतंत्र कर दिया। इससे तो इस्लाम का खुदा एकांगी और पक्षपाती दीखता है । या हो सकता है कि इस धर्म के अनुयायियों ने अपनी सुविधा को देखकर खुदा का हवाला देते हुए कुरान के धर्मादेशों को अपने अनुसार विश्लेषित कर लिया हो या उसमें कुछ वृद्धि ही कर दी हो । अन्यथा यह कितना अस्वाभाविक है कि जो खुदा भूखे पशुओं के उस दर्द को महसूस कर सकता है जो भूख से पैदा होता है वह पशुओं की उस पीड़ा को समझ नहीं सकता जो भोजन के लिए मनुष्यों के द्वारा की गई उनकी हत्या से होती है ।
ताओ एवं कनफ्यूशियस :
चीन में तीन धर्मों का प्रसार है- बौद्ध, ताओ और कन्फ्यूशियस । ताओ धर्म के प्रणेता लाओत्से ( Lao Tze ) हो गए हैं जिनका प्रादुर्भाव चुद्रण ( Chu- Jhren ) गाँव में ईसा पूर्व सन् ६०४ में हुआ था । उनका पहला नाम 'ली' था । 'ली' का अर्थ होता है कर्कन्धूया बेर ( Plum ) । ऐसा नाम उन्हें इसलिए दिया गया कि उनका जन्म कर्कन्धू - वृक्ष के नीचे हुआ था । वे बड़े ही चमत्कारी व्यक्ति थे । अपने समय के राजनीतिक एवं सामाजिक भ्रष्टाचार से ऊबकर वे चीन को ही छोड़ने वाले थे लेकिन लोगों ने उनसे पुस्तक लिखने के लिए आग्रह किया । फिर उन्होंने करीब पाँच हजार शब्दों की 'ताओ - तेह किंग' नामक एक पुस्तक लिखी 1. Towards Understanding Islam-Sayyid AbulA'la Maududi, PP. 186-187,
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