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जैन धर्म में अहिंसा एवं विनम्र है। कुरान का श्रीगणेश ही खुदा को उदार एवं दयावान कहकर संबोधित कर किया गया है। फिर भी कुरान ऐसा एलान करता है कि खुदा किसी को बिना किसी उचित कारण के मारने के लिए हेदायत करता है और यदि कोई किसी की हत्या बिना सही कारण के ही कर देता है तो खदाई कानन के अनुसार आगे वह भी (जिसकी हत्या होती है यानी हिंसित) हिंसक की हत्या करने का अधिकारी बन जाता है। लेकिन ऐसा वह स्वेच्छा से नहीं कर सकता, उसे खुदाई कानून का सहारा तो लेना ही पड़ेगा।
किन्तु किसी जीव की हत्या करने के लिए उचित कारण क्या हो सकता है ? यह एक समस्या-सी उठ खड़ी होती है। इसके संबंध में कुछ जानकारी वहाँ से हो सकती है जहां पर मौदुदी (Maududi) ने ईश्वर, आत्मा, मनुष्य एवं विभिन्न जीवों के अधिकारों का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि खदा ने आदमी को अन्य सभी जीवों पर अधिकार देकर उसे सम्मानित किया है । आदमी अन्य जीवों को अपने काम में ला सकता है, लेकिन उनका दुरुपयोग नहीं कर सकता। खुदा की ओर से उसे इतनी छूट नहीं मिली है कि वह चाहे जिस कदर भी उन्हें परेशान करे । यदि अन्य जीवों को आदमी अपने काम में लाता है तो उसे कोशिश करनी चाहिए कि उन्हें कम से कम कष्ट हो। उदाहरणस्वरूप आदमी अपने भोजनार्थ पशुओं की हत्या कर सकता है लेकिन खेल के लिए या अन्य किसी प्रसन्नता के लिए वह ऐसा नहीं कर सकता। और इसमें भी हत्या करने के एक विशेष तरीके को अपनाना चाहिए जिसे जभ (Zabh) कहते हैं, क्योंकि इस तरीके से मारने पर जीव को कम कष्ट होता है । जंगली हिंसक पशुओं की हत्या करने के लिए भी यह परम्परा छूट देती है क्योंकि हिंसक पशुओं से मनुष्य का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण होता है । लेकिन इसमें पशुओं को कम 1. Quran, Tr. E. H. Palmer, Part I, Chapter II, 265, p. 42. २. "बिस्मिल्लाह रहिमानुर्रहीम" कुरान १. १. 3, Quran, Part II, Chapter VIII, 35. p. 4.
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