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[ चौबीस ]
अध्याय
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निश्चयधर्म के पर्व भी व्यवहारधर्म निमित्तनैमित्तिक का समकालयोग अनिवार्य नहीं सहचर-व्यवहारधर्म शुद्धोपयोगसाधक अबाधकत्व साधकत्व नहीं है अवरोधनिवारकत्व के कारण ही नियतपूर्वभाव ज्ञापकत्व साधकत्व नहीं है 'सुद्धो सुद्धादेसो' गाथा का तात्पर्य व्यवहार के ज्ञानमात्र से तीर्थप्रवृत्ति सम्भव नहीं
साध्यसाधकभाव की मनोवैज्ञानिकता सापेक्षता की भ्रान्तिपूर्ण व्याख्या
निश्चय और व्यवहार की सापेक्ष उपादेयता दशम : मोक्षमार्ग की अनेकान्तात्मकता
अवस्थानुरूप उपाय ही कार्यकारी आगम में पात्रसापेक्ष उपदेश स्वयोग्य धर्मग्रहण करने का उपदेश भिन्न-भिन्न भूमिका में भिन्न-भिन्न धर्म ग्राह्य व्यवहार की हेयोपादेयता भूमिकानुसार निश्चय-व्यवहार के एकान्त अवलम्बन का निषेध
व्यवहारैकान्त से संसारभ्रमण निश्चयैकान्त से केवल पापबन्ध
मध्यस्थ होने से ही मोक्ष सर्वथानुगम्यः स्याद्वादः उभयनयायत्ता पारमेश्वरी तीर्थप्रवर्तना दोनों नयों की सापेक्ष उपादेयता का कथन
अनेकान्तात्मकता की मनोवैज्ञानिक भित्ति एकादश : उपादाननिमित्तविषयक मिथ्याधारणाएँ
मिथ्याधारणाओं का खण्डन निमित्त एक वास्तविकता आरोप वास्तविक धर्म का ही किया जाता है निमित्त के उपचार का कोई प्रयोजन नहीं प्रयोजनवश कर्तृकर्मत्व का उपचार
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