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________________ ५३ जैन योग-साहित्य है जो प्रमुखतः जैन योगपरक हैं। इनके अतिरिक्त जिनरत्नकोश' में अध्यात्म नाम से शुरू होनेवाले ग्रन्थों की नामावली इस प्रकार दी गयी है-अध्यात्म-भेद, अध्यात्मकलिका, अध्यात्मपरीक्षा, अध्यात्मप्रदीप, अध्यात्मप्रबोध, अध्यात्मलिंग और आध्यत्मसारोद्धार । जिनरत्नकोश में योगविषयक अन्य ग्रन्थों का भी उल्लेख है, जिनके कर्ता अज्ञात हैं और कृतियाँ प्रायः अनुपलब्ध हैं। वे ग्रन्थ इस प्रकार हैं-योगदृष्टिस्वाध्यायसूत्र, योगभक्ति, योगमाहात्म्य, योगरत्नसमुच्चय, योगरत्नावलि, योगविवेकद्वात्रिंशिका, योगसंकथा, योगसंग्रह, योगानुशासन एवं योगावतारद्वात्रिंशिका । योगकल्पद्रुम एवं योगतरंगिणी ये दो ग्रन्थ उपलब्ध हैं, परन्तु उनके कर्ता अज्ञात हैं। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी योगविषयक ग्रन्थों का उल्लेख मिलता है, जिनके लेखकों का निर्देश किया गया है१. योगदीपिका -पं० आशाधर २. योगभेद द्वात्रिंशिका -पं० परमानन्द ३. योगमार्ग -पं० सोमदेव ४. योगरत्नाकर -~-मु० जयकीर्ति ५. योगलक्षणद्वात्रिंशिका -मु० परमानन्द ६. योगविवरण -श्री यादवसूरि ७. योगसंग्रहसार -श्री जिनचंद्र ८. योगसंग्रहसारप्रक्रिया -मु० नन्दीगुरु ९. योगसार -पं० गुरुदास १०. योगांग -श्री शान्तरस ११. योगामृत -श्री वीरसेनदेव १. जिनरत्नकोश, वि० १, पृ० ५-६; जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भा० ४, पृ० २६४। २. वही; तथा जैन साहित्य का बृहद् इतिहास; भा० ४, पृ० ३२१-२२ । ३. वही, पृ० २५१। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002123
Book TitleJain Yog ka Aalochanatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArhatdas Bandoba Dighe
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size13 MB
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