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जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन
इस प्रकार संयमपूर्ण आचार-विचार की अनिवार्यता प्रतिपादित करते हुए बुद्ध ने शील, समाधि एवं प्रज्ञा का विधान किया है, जो योग केही स्रोत हैं । इनके अतिरिक्त योग-साधना के विभिन्न अंगोपांगों की विस्तृत चर्चा 'मिलिन्दप्रश्न' में है ।' बौद्ध योग में यद्यपि पातंजल योग की भाँति व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध योग की चर्चा नहीं हुई है, तथापि बुद्ध ने बोधिप्राप्ति के लिए जो-जो उपाय बतलाये हैं, वे निश्चय ही आध्यात्मिक अथवा योग मार्ग के सोपान हैं ।
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१ मिलिन्दप्रश्न, ६।१।१
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