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________________ १७४ जैन योग का मालोचनात्मक अध्ययन (क) पार्थिवी-सर्वप्रथम साधक पार्थिवी धारणा के द्वारा चिन्तन करता है कि मध्यलोक के बराबर निःशब्द, कल्लोलरहित एवं सफेद क्षीर-समुद्र है, उसमें जम्बू-द्वीप के बराबर एक लाख योजनवाला तथा हजार पंखुड़ी से युक्त कमल है, उस कमल के मध्य में अनेक केसर हैं। उन केसरों में दैदीप्यमान प्रभा से युक्त मेरुपर्वत के बराबर एक ऊँची कणिका है, उस पर एक सिंहासन है तथा उसमें बैठकर कर्मों का उन्मलन करने में आत्मा का चिन्तवन इस प्रकार करे कि यह रागद्वेषादि समस्त कर्मो का क्षय करने में समर्थ है। इस प्रकार इस ध्यान में प्रथमतः बड़ी चीजों को लाने के बाद सूक्ष्म वस्तु की ओर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे समस्त चिन्ताओं पर एक जगह रोक लग जाती है। (ख) आग्नेयो धारणा-इस धारणा के विषय में कहा गया है कि योगी अपने नाभि-मण्डल में सोलह पंखडीवाले कमल का ध्यान करे और उसके बाद उस कमल की कणिका पर अहँ महामंत्र की स्थापना करके उस पर क्रमशः सोलह स्वरों को स्थापित करे। फिर ऐसा चिन्तन करे कि उस महामंत्र से धुंआं निकल रहा है तथा अग्नि की ज्वालाएँ ऊपर उठ रही हैं । इसके बाद हृदय में आठ पंखुड़ी से युक्त अधोमुख कमल की अर्थात् अष्टकर्मो की कल्पना करे । नाभिष्ट कमल से उठी हुई प्रबल अग्नि से वह कर्म नष्ट हो रहे हैं तथा 'र' से व्याप्त हासिया चिह्न से युक्त धूम-रहित अग्नि का चिन्तन करे। तत्पश्चात् चिन्तन करे कि देह एवं कर्मो को दग्ध करके अग्निदाह्य का अभाव होने के कारण धीरे-धीरे वह शान्त हो रहा है। (ग) वायवी धारणा-इस धारणा के अन्तर्गत साधक चिन्तन करता है कि लोक में महाबलवान् वायुमण्डल चल रहा है और वह आग्नेयी धारणा में देह एवं कमल को जलाने के बाद बची हुई राख को उड़ा रहा है। इस प्रकार प्रचण्ड वायु के चिन्तनपूर्वक उसे शान्त करना वायवी धारणा है। ज्ञानार्णव, ३४।४-९ १. योगशास्त्र, ७.१०.१२, योगप्रदीप, २०, ४०५-८; २. ज्ञानार्णव, ३४।१०-१९; योगशास्त्र, ७।१३-१८ ३. ज्ञानार्णव ३४।२०-२३; योगशास्त्र, ७१९-२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002123
Book TitleJain Yog ka Aalochanatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArhatdas Bandoba Dighe
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size13 MB
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