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________________ ७२ : जैनमेघदूतम् एवं महापुरुषचरित आदि हैं।' अतः प्रथम आचार्य मेरुतुङ्गसूरि का काल विक्रम की चौदहवीं शताब्दी निश्चित होता है। द्वितीय आचार्य मेरुतुङ्गसूरि अचलगच्छ के एक विद्वान् आचार्य थे। इन्हीं आचार्य मेरुतुङ्ग ने प्रस्तुत जैनमेघदूतम् काव्य की रचना की है। इनका जन्म विक्रम की पन्द्रहवीं शती के प्रारम्भ विक्रम संवत् १४०३ में हुआ था ।२ यह अचलगच्छीय आचार्य श्री महेन्द्रप्रभसूरि के शिष्य थे। जीवन-चरित : अचलगच्छीय आचार्य मेरुतुङ्गसूरि जैन साहित्य-क्षितिज के एक अत्यन्त प्रभावक विद्वान् हुए हैं। इनके जीवन-परिचय से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण सामग्री इतस्ततः अभी तक बिखरी हुई है। अतः वास्तविक परिचय प्राप्त न हो सकने के कारण और कवि द्वारा स्वयं अपने प्रति कुछ न लिखने के कारण, मेरुतुङ्ग के वास्तविकतापूर्ण जीवन को प्रकाश में लाना अति कष्टसाध्य सा प्रतीत हो रहा था। परन्तु सद्यःप्राप्त एक रास--जो कि मेरुतुङ्गसरि के समकालीन किसी कवि ने उनके जीवनचरित को प्रकाशित करते हुए रचा है-से उनके जीवन-वृत्त पर बहुत अधिक प्रकाश पड़ता है। कच्छ अंजार वाले शा० सोभचन्द धारणी द्वारा प्रकाशित अचलगच्छीय म्होटी पट्टावली में भी मेरुतुङ्गसूरि का जीवन-वृत्त प्रकाशित हुआ है। अतः इन्हीं सामग्रियों के आधार पर--उनमें वर्णित प्रामाणिक वृत्तान्त के आधार पर ही-यहाँ आचार्य मेरुतुङ्ग का जीवनपरिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। मरुभूमि मारवार्ड प्रदेश के अन्तर्गत नाणी नामक एक ग्राम में वहोरा वाचारगर एवं उनके भ्राता वहोरा विजयसिंह निवास करते थे। उनमें वहोरा विजयसिंह की पत्नी के वहोरा वयर सिंह नामक एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जो कि प्राग्वाट वंश के शृङ्गार के रूप में था। वह पुत्र अत्यन्त विचक्षण बुद्धि वाला, महान् दानी एवं धार्मिक विचार वाला था। १. बाम्बे ब्रान्च रायल एशियाटिक सोसाइटी जर्नल, पृ० १४७, १८६७-६८ । २. जैनमेघदूतम्, प्रस्तावना, पृ० १५ । ३. "मेरुतुङ्गसूरि रास" नामक रास की नकल कलकत्ते से प्राप्त कर श्री भंवर लाल नाहटा ने उसका सार-संक्षेप "श्री आर्य कल्याण गौतम स्मृति-ग्रन्थ", बम्बई में प्रकाशित किया है। ४. व्याख्यान पद्धति में “थालदेश" ऐसा उल्लेख है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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