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________________ भूमिका : ६७ कारण मन्दाक्रान्ता छन्द भी प्रयुक्त है। पूर्व एवं उत्तर भाग में कुल क्रमशः ६८ एवं ५८ श्लोक हैं। श्रीराम द्वारा हनुमान को सीता की खोज में भेजने की घटना के ही आधार पर यह दूतकाव्य रचा गया है। समस्यापूर्ति के साथ-साथ कवि ने मूल श्लोक के भाव को भी सुरक्षित रखा है। मेघदूत की प्रेरणा लेकर भी कवि ने अपने श्लोकों में कुछ नवीनता समाविष्ट करने की कोशिश की है। ____ हनुमत्सन्देश' : इस काव्य के रचयिता श्री विज्ञसूरि वीरराघवाचार्य जी हैं, जो पश्चिम गोदावरी जिले के तानुकु तालुके में दोन्तावरम् नगर के निवासी थे। इस काव्य के अतिरिक्त कवि ने रामानुजश्लोकचर्या, मानससन्देश, पानक नरसिंह स्तोत्र, रघुवीर-गद्य व्याख्या और चतुःश्लोकी की व्याख्या लिखी है। इनका समय ई० सन् १८५५ और १९२० के मध्य का है। यह काव्य भी रामकथा पर ही आधारित प्रतीत होता है, जिसमें दौत्यकर्म का सम्पादन हनुमान द्वारा किया गया होगा। हरिणसन्देश : आचार्य वेदान्तदेशिक के सुपुत्र श्रीवरदाचार्यजी द्वारा यह दूतकाव्य प्रणीत है। हरिण इस दूतकाव्य में दूत का कार्य सम्पादित करता है । काव्य का मात्र उल्लेख ही मिलता है। हारीतदूतम् : इस दूतकाव्य के विषय में सभी कुछ अज्ञात ही है । प्रो० मिराशी ने अपनी पुस्तक में इस दूतकाव्य का उल्लेख अवश्य किया है। हंसदतम् : श्री रूपगोस्वामी जी प्रस्तुत दूतकाव्य के रचनाकार हैं। इस काव्य में कुल १४२ श्लोक हैं, जो कि शिखरिणी छन्द में रचित हैं । विद्वानों का मत है कि यह दूतकाव्य मध्ययुगीन दूतकाव्यों में सर्वप्राचीन है, जिसकी कथा श्रीकृष्ण से सम्बद्ध है। __मेघदूत के ही समान इस काव्य में भी मार्ग-वर्णन मिलता है। कथावस्तु इस प्रकार है कि कंस के अत्याचार से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण १. संस्कृत के सन्देशकाव्य : रामकुमार आचार्य, परिशिष्ट २; अप्रकाशित । २. मैसूर की गुरुपरम्परा में उल्लिखित; अप्रकाशित । ३. कालिदास : प्रो० मिराशी, पृ० २५९; अप्रकाशित । ४. श्री जीवानन्द विद्यासागर द्वारा उनके काव्य-संग्रह में प्रथम भाग के तृतीय संस्करण में सन् १८८८ में कलकत्ता से प्रकाशित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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