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________________ ६६ : जैनमेघदूतम् शकसन्देश' : दूतकाव्य परम्परा में अपने नाम का यह तीसरा दूतकाव्य है। इस काव्य के रचनाकार श्री लक्ष्मीदास जी हैं। इस काव्य की कथा भी स्वतन्त्र ही है। एक प्रेमी ने स्वप्न में अपनी प्रिया के वियोग को देखकर स्वप्न में ही एक शुक को दूत बनाकर भेजा है। पूर्व तथा उत्तर सन्देश के रूप में दो भागों में काव्य विभक्त है, जिनमें क्रमशः ७४ एवं ८९ श्लोक हैं। काव्य-सौष्ठव उतना नहीं चमक सका है, जितना चाहिए था। शुकसन्देश : वेदान्तदेशिक के पुत्र श्री वरदाचार्य द्वारा रचित इस दूतकाव्य का भी मात्र उल्लेख ही प्राप्त होता है। अनुमानतः इस काव्य में भी शुक ही नायक-नायिका के पारस्परिक सन्देश-सम्प्रेषण का माध्यम होगा। सिद्धदूतम् : यह दूतकाव्य अवधूत रामयोगी द्वारा रचा गया है । काव्य में मात्र कालिदास के मेघदूत की समस्यापूर्ति भर की गई है । इस दूतकाव्य का भी दूतकाव्य-परम्परा में महत्त्वपूर्ण स्थान है। सुभगसन्देश : इस सन्देशकाव्य के रचयिता श्री नारायण कवि जी हैं। कवि जयसिंहनाद के राजा रामवर्मा की सभा में कवि था। अतः इस काव्य-रचना का समय १५४१-१५४७ ई० होगा। काव्य प्रकाशित नहीं है फिर भी पूर्ण अंश में उपलब्ध है, जिनमें कुल १३० श्लोक हैं। सुरभिसन्देश : तिरुपति के आधुनिक प्रसिद्ध कवि श्री वीरवल्लि विजयराघवाचार्य जी द्वारा रचित यह दूतकाव्य अति सुन्दर है । काव्य में आधुनिक नगरों का सूक्ष्म वर्णन है। हनुमदूतम् : इस दूतकाव्य के रचनाकार आशुकवि श्री नित्यानन्द शास्त्री जी हैं । काव्य १९वीं शती की रचना है। इस काव्य में मेघदूत के प्रत्येक पद की चतुर्थ पक्ति की समस्यापूर्ति की गई है। समस्यापूर्ति के १. श्री पी० एस० अनन्त नारायण शास्त्री द्वारा प्रणीत टिप्पणी सहित मंगलो दयम् प्रेस, तंजौर से प्रकाशित । २. गुरु परम्परा प्रभाव, मैसूर (१९८) एवं संस्कृत के सन्देशकाव्य : रामकुमार आचार्य, परिशिष्ट २; अप्रकाशित । ३. पाटन से सन् १९१७ में प्रकाशित । ४. जर्नल ऑफ रायल एशियाटिक सोसायटी, (१८८४) पृ० ४४९ पर द्रष्टव्य; अप्रकाशित । ५ संस्कृत के सन्देशकाव्य : रामकुमार आचार्य, परिशिष्ट २; अप्रकाशित । ६. खेमराज श्रीकृष्णदास द्वारा विक्रम संवत् १९८५ में बम्बई से प्रकाशित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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