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________________ द्वितीय सर्ग ५९. हँसते हुए तालाबों को देखा जिसमें हवा के झोकों से हिलते हुए. कमलों के साथ कलरव करते हुए जलपक्षी खेल रहे थे । वे ऐसे लग रहे थे जैसे तालाब रूपी माँ कमलरूपी हाथों से रोते हुए बच्चों की तरह शब्द करते हुए पक्षियों को खिला रही हो ||३९|| तत्रान्यत्रोत्तरसरिसरिद्वापितोयेषु चैष क्रीडां कर्तुं रतिवशवशावृन्दवर्ती सुगात्रः । मृद्द्मन् पदभ्यां नलिननिकरं नीरपुरं करेणोदस्यन् पश्यन्नधिमदमुपाक्रंस्त हस्तीव शस्तः ॥४०॥ तत्रान्यत्रो • हे जलद ! च अन्यत् एषः कृष्णः तत्र तासु पूर्वदृष्टासु सरसीषु अन्यत्र अन्यस्मिन्नपि उत्तरसरिसरिद्वापितोयेषु उत्तराकाष्टाः सरयो निर्झराणि सरितो नद्यः वापिः वापिका तासां तोयेषु जलेषु क्रीडां कर्तुं उपाक्रंस्त उपक्रमञ्चकार ! किंरूपः एषः -- रतिवशवशावृन्दवर्ती रतेः कामभार्यायाः क्रीडायाः वावशायाः आयत्तायाः वशाःनार्यः तासां वृन्दे समूहे वर्ती वर्त्तनशीलः । पुनः किरूपः -- सुगात्रः शोभनकायः पद्भ्यां नलिननिकरं कमलसमूलं मृदगन् मर्दयन् तथा अमिदं अधिकमदं यथा भवति तथा करेण हस्तेन नीरपूरं उबस्यन् उत्क्षिपन् । पुनः कीदृश: -- :- शस्तः प्रधानः । क इव - हस्तीव यथा सरिस द्विपितोयेषु क्रीडां कर्तुं उपक्रमते उपक्रमं करोति । किरूपो हस्तीरतिवशवशावृन्दवर्ती रते वशायाः आयत्तायाः वशाः हस्तिन्यः तासां वृन्दे वर्त्तनशीलः तथा सुगात्रः सुष्टुं शोभनं गात्रं अग्रप्रदेशो यस्य सः तथा पद्मां पद्मनिकरं मृद्गन्, करेण शुण्डादण्डेन नीरपूर उदस्यन् नश्यन् ॥४०॥ उन तालाबों एवं अन्य प्रधान सरित् वापियों में कामानुरक्त स्त्रियों के बीच में स्थित सुन्दर शरीर वाले श्रीकृष्ण हाथों से जल समूह को उलोचते हुए तथा मदभरी दृष्टि से कामानुरक्त स्त्रियों को देखते हुए उसी प्रकार क्रीड़ा करने लगे जिस प्रकार श्रेष्ठ तथा उत्तम अग्रभाग ( मन ) वाला हाथी तालाबों के बीच में प्रवेश कर रतिवशा हथिनियों के बीच में पैरों से कमलों को कुचलता हुआ तथा सूँड़ से पानी को उछालता हुआ तथा मतवाली आखों से (उन रतिवशा हथिनियों को) देखता हुआ क्रीड़ा करता है ॥४०॥ नाडीं क्वापि क्वचन घटिका याममेकं क्वचिच्च द्वित्रान् क्वापि क्वचिदपि दिनं पक्षिणं गर्भकं च । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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