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________________ यदि नोत्सहसे यातु मया सार्धमनिन्दिते । अभिज्ञानं प्रयच्छ त्वं जानीयाद्राघवो हि यत् ॥ सीताजी अपना चूड़ामणि उन्हें दे देती हैं ततो वस्त्रगतं मुक्त्वा दिव्यं चूड़ामणि शुभम् । प्रदेयो राघवायेति सीता हनुमते ददौ २ ॥ अभिज्ञान देने के उपरान्त सीताजी श्रीराम को हनुमानजी के ही द्वारा अपना सन्देश भी भिजवाती हैं । इसके अतिरिक्त पञ्चवटी से सीताजी का अपहरण हो जाने पर उनके वियोग में श्रीराम द्वारा अति व्याकुल होकर विभिन्न वृक्षों, पशुओं, पक्षियों, पर्वतों तथा गोदावरी आदि से सीता के बारे में पूछना भी दूतकाव्यों का पथ-प्रदर्शक ही सिद्ध होता है । इस प्रकार वाल्मीकि रामायण में दूत द्वारा सन्देश का सम्प्रेषण, मार्ग का वर्णन तथा अभिज्ञान स्वरूप किसी वस्तु को देना एवं किसी घटना का वर्णन करना आदि बातें पायी जाती हैं। इन सभी बातों का पूरा-पूरा सामञ्जस्य कालिदास के मेघदूत में भी मिलता है । महाभारत - महाभारत में भी दूत - सम्प्रेषण के कई प्रसङ्ग देखने को मिलते हैं । सबसे प्रमुख रूप से युधिष्ठिर द्वारा दूत के रूप में श्रीकृष्ण को हस्तिनापुर में कौरवराज दुर्योधन की सभा में भेजने की घटना आती है, जो सर्वविदित ही है । भले ही इस दूत- सम्प्रेषण को विशुद्ध राजनैतिक ही मानें, क्योंकि यह सम्प्रेषण किसी विरही विरहिणी का सन्देश सम्प्रेषण न होकर मात्र राजनीतिक चालों से सम्बन्धित दूत - सम्प्रेषण था । परन्तु महाभारत के ही नलोपाख्यान में आए हुए हंस - दमयन्ती सम्वाद को तो निश्चित रूप से सन्देश - काव्यों के पथ-प्रदर्शक के रूप में मानना पड़ेगा । सम्वाद कुछ इस प्रकार से है कि एक-दूसरे के लावण्य की, गुण की, योग्यता की निरन्तर चर्चा सुनते रहने से नल और दमयन्ती परस्पर अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं । एक समय नल मन ही मन में दमयन्ती का ध्यान करते-करते अपने उद्यान में पहुँचता है, तभी वहाँ पर एक हंसों का समूह आता है । उनमें से एक हंस को नल पकड़ लेता है । इस पर हंस नल से कहता है १. वाल्मीकि रामायण, सुन्दरकाण्ड, ३८।१० । २. वही, ४०।६९ । ३. वही, ६१- ६४ । भूमिका : ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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