SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका : १४३ श्लेष के ये दुर्भेद्य-कपाट बिरले कृतविद्य ही भेदने में सफल हो पाते हैं। आचार्य मेरुतुङ्ग के ये श्लेष-प्रयोग वास्तव में इतने जटिल बन गये हैं कि काव्य में श्लेषों के इस बीहड़ वन को पार करते-करते सहृदय रसिक से चूक हो ही जाती है । फिर भी श्लेष के ये प्रयोग कवि की प्रतिभा के परिचायक तो हैं ही। वक्रोक्ति : कविराज विश्वनाथ ने वक्रोक्ति अलङ्कार का लक्षण साहित्यदर्पण में प्रकार दियाइस है कि जहाँ श्लेष के कारण अथवा 'ध्वनिविकार अर्थात् काकु के कारण किसी के अन्यार्थक वाक्य को किसी अन्य अर्थ में लगा लिया जाता है, तब वह-श्लेष के कारण "श्लेषवक्रोक्ति" अथवा काकु के कारण "काकु-वक्रोक्ति" इन दो भेदों से-- वक्रोक्ति अलङ्कार होता है-- अन्यस्यान्यार्थकं वाक्यमन्यथा योजयेद्यदि । अन्यः श्लेषेण काक्वा वा सा वकोक्तिस्ततो द्विधा । जैनमेघदूतम् में कवि ने वक्रोक्ति अलङ्कार का मात्र एक प्रयोग किया है । कवि द्वारा प्रयुक्त वक्रोक्ति अलङ्कार का यह प्रयोग बहुत सुन्दर बन . गया है, जो इस प्रकार प्रस्तुत है---- नार्या आर्यापर परमिति त्वं द्विषन् कोऽसि निष्णो जिष्णोर्मान्या प्रतनभगवच्छान्तिमुख्याहतो या। संपश्यस्व क्षणमपि महावत्यपीशो न मुञ्चेद गौरी गौरी गिरमिति जगौ प्रेमकोपादगौरी ॥ यहाँ पर गौरी पद में “कृष्ण की पत्नी गौरी", "अगौरी (आरक्त)" और "भगवान् शङ्कर की पत्नी गौरी" ये तीन अर्थ हैं । अतः यहाँ श्लेष वक्रोक्ति है। उपमा : उपमा उत्तम वर्णन का एक अङ्ग है। उपमा विषय को अलङ्कृत करती है, वर्णन को अति उज्ज्वल बनाती है, सौन्दर्य को एक स्थान पर एकत्रित करती है, मनोराज्य एवं बहिर्जगत् का सामञ्जस्य प्रस्तुत कर सहृदय रसिक को विस्मित करती है एवं वक्तव्य को पूर्णतया स्पष्ट करती है। आचार्य मम्मट ने उपमा अलङ्कार का लक्षण इस प्रकार १. साहित्यदर्पण, १०/९। २. जैनमेघदूतम्, ३/१२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy