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________________ ११४ : जैनमेघदूतम् महामल्ल को जीत लिया है, इसीकारण उनसे बद्धवैर होकर काम तुमको पीडित कर रहा है। तुम उनकी वीर पत्नी हो, तुम्हें भी कामजनित इस पीडा को सहना उचित नहीं है। अतः तुम भी बोध रूपी शस्त्र से इसे मार डालो' । क्योंकि तुम पाषाण सदृश कठोर श्रीनेमि को रागरञ्जित नहीं बना पाओगी-. मा विश्वस्या मतिमति ! वरप्राक्पदा वणिनी तां रागोत्सृष्टानुपलशकलान् रञ्जयन्ती निरीक्ष्य । चूर्णो नाम्ना स खलु भगवानेष जात्यं तु वज्र नो रागाङ्करविकलबले रज्यते जातु कैश्चित् ॥ सखियों की ऐसी वचन-रचना को सुनकर, पति के ध्यान से सावधान बुद्धिवाली राजीमती केवल-ज्ञान को प्राप्त भगवान् श्रीनेमि के समीप जाकर व्रत ग्रहणकर, अपने स्वामी के ध्यान से स्वामी की ही तरह द्वेषादि से रहित हो गई और परम आनन्द के सर्वस्व मोक्ष का वरण कर अनुपम तथा अव्यय-सौख्य-लक्ष्मी को प्राप्त हई।। __ इस प्रकार जैनमेघदूतम् में राजीमती का विरह-संलाप सन्देशात्मक न होकर सम्बादात्मक ही प्रतीत होता है। राजीमती से सम्बन्धित विप्रलम्भ शृङ्गार के ये समस्त चित्रण अत्यन्त मर्मस्पर्शी हैं। ___ संयोग शृङ्गार : जैनमेघदूतम् में कवि ने नायक श्रीनेमि की यौवनावस्था का अत्यन्त शृाङ्गारिकतापूर्ण कथन किया है। श्रीकृष्ण और अन्तःपूर की उनकी पत्नियों के साथ श्रीनेमि का उद्यानादि में रमण अति विलासितापूर्वक वर्णित है । अन्त.पुर की स्त्रियों की श्रीनेमि के साथ क्रीडा भी शृङ्गार रस से ओत-प्रोत है। जैनमेघदूतम् के ये संयोग-श्राङ्गारिक वर्णन विप्रलम्भ के वर्णनों की भाँति ही अति उच्चकोटिक हैं। - श्रीनेमि बाल्यावस्था से यौवनावस्था की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उनके शरीरांग अतीव पुष्टता एवं सुन्दरता को प्राप्त हो रहे हैं। श्रीनेमि की इसी शरीर-कान्ति का वर्णन करतो हुई राजीमती मेघ से कहती है कि कमल उनके चरणों के, कदलीस्तम्भ उनकी ऊरुओं के, गंगा का तट उनकी कटि के, शोण उनकी नाभि के, तोरण उनके वक्ष के, कल्पवृक्ष की शाखा उनकी भुजा के, कमल-किशलय उनके करों के, पूर्णचन्द्र उनके १. जैन मेघदूतम्, ४/३९ । २. वही, ४/४१ । ३. वही, ४/४२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002122
Book TitleJain Meghdutam
Original Sutra AuthorMantungsuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size15 MB
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