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ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन (क्रमशः ) [ ७३
बगल में प्राकृतिक कोट बना है जिसमें लगभग १७० गुफाएँ हैं । कुछ में मूर्तियाँ हैं और कुछ में साधु निवास करते हैं, किन्तु चम्बल नदी की ओर जो जैन गुफाएँ हैं उनमें वृषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व और महावीर की मूर्तियाँ हैं । इस प्रकार ढिपुरी एक प्राचीन तीर्थ है, जो आज मालवा में चम्बल के किनारे धुमनार क गुफा के पास सम्भवतः चन्द्रावती के खण्डहर के रूप में विद्यमान है ।
अब समस्या है राजा वङ्कचूल के समीकरण की । वङ्कचूल के उदाहरण प्राकृत 'वक्क वूडकहा' और गुजराती काव्यों में आते हैं । भारतीय इतिहास में चूड़चन्द्र नामक एक राजा का उल्लेख आता है जो वामनस्थली के चन्द्रवंशी बालाराम चावड़ा का उत्तराधिकारी था, परन्तु रक्त-सम्बन्धी नहीं था, क्योंकि फोंस उसे यदुवंशी बतलाता है ।' रूसी शौर्यमयी पौराणिक कथा - साहित्य में वंक नामक एक विधवा-पुत्र के विषय में जो गीत गाये गए हैं वे एक राजकुमारी की कथा पर आधारित हैं । किन्तु ध्वन्यात्मक साम्य के अतिरिक्त चूड़चन्द्र या रूसी वंक का वकचूल से तनिक भी सम्बन्ध नहीं है ।
वस्तुतः वङ्कचूल ढिपुरी के राजकुमार पुष्पचूल का विद्रूपित नाम था । बाल्यकाल में पुष्पचूल अपनी शक्ति का उपयोग रचनात्मक कार्यों में न करके अवांछनीय कार्यों में करने लगा । वह स्वयं चौर्य कार्य, अनर्थक कार्य आदि दुर्व्यसनों में, राज्य के नागरिकों को उत्तप्त करने में तथा बड़े टेढ़े और क्रूर कर्म करने में लिप्त हो गया था । अतः उसका नाम वङ्क ( वक्र ) चूल या वंक ( क्रूर ) चूल पड़ गया ।
राजशेखर ने सातवाहन प्रबन्ध और विक्रमादित्य प्रबन्ध के बीच
१. जिरको, पृ० ३४० । इस कृति के रचयिता और रचना-काल अज्ञात हैं । दे० जैन गुर्जर कवियों, भाग १, पृ० ४८३, पृ० ५८९ ।
२. रामाफो, प्रथम भाग, पूर्वार्द्ध, पृ० १८ ।
३. राष्ट्रों ने अपनी वीर गाथा कालों की तथा विख्यात राष्ट्रीय नायकों की स्मृति सुरक्षित रखी है । भारतीयों और स्लाव-जातियों द्वारा इस प्रकार की गाथाएँ गायी गयी हैं । दे० मैकल, जे० : इनसाइ० रि० ऐ० ए०, १९५५, जिल्द छठीं, पृ० ६६४-६६५ ।
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