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________________ ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन [६७ राजा खारवेल के हाथी गुम्फा अभिलेख में उल्लेख आता है।' प्रतिष्ठान या पैठान राजा सातकणि ( सातवाहन या शालिवाहन ) और उसके पुत्र शक्तिकुमार की भी राजधानी थी, जिसकी पहचान नानाघाट अभिलेख के राजा सातकर्णि और कुमारशक्ति से की जाती है। जैन-परम्परा के अनुसार सातवाहनों का अगला महत्त्वशाली और सत्रहवाँ राजा हाल पहली शती के अन्त या दूसरी शती के प्रारम्भ में हुआ। सातवाहन प्रबन्ध में चमत्कारिक वर्णनों का अम्बार लगा है। राजशेखर यहाँ तक लिखता है कि उस सातवाहन ने संवत्सर भी प्रवर्तित किया, जबकि सत्य यह है कि सातवाहनों ने अपने अभिलेखों और मुद्राओं में किसी संवत्सर का उपयोग नहीं किया। प्रबन्धकोश का सातवाहन प्रबन्ध तो प्रभावकचरित के प्रतिष्ठानपुर कल्प से शब्दशः उद्धृत है। अतः इस प्रबन्ध में राजशेखर की मौलिकता का पूर्णतया अभाव है, सिवा इसके कि प्रबन्ध के अन्त में वह इतिहासशास्त्र से सम्बन्धित दो विषयों को उठाता है, यथा कालक्रम का तुलनात्मक वर्णन तथा सातवाहन राजा के समीकरण का प्रयास । कालक्रम का तुलनात्मक और सकारण वर्णन करते समय बह "विद्वान् जैन इसे संगत नहीं मानते हैं" यह कह कर अपनी स्पष्टवादिता का परिचय देता है। "इसी प्रकार सातवाहन के पश्चात् सातवाहन और सातवाहन के क्रम में सातवाहन का होना यह (प्राचीन गाथा-अर्थात् इतिहास के ) विरुद्ध नहीं है क्योंकि भोजपद पर बहुत १. दुतिये च बसे अचितयिता सातकनि पछिम, दिसं ह्य गज नर रध बहुलं दंड पठायपयति । इपि इण्डि०, जिल्द २०, पृ० ७२; दे० पाण्डेय राजबली : हि० ऐण्ड लिटररी इंस्कृप्शंस, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, १९६२, पृ० ४६ । २. कैम्ब्रिज हिस्टरी ऑफ इण्डिया, जिल्द १, पृ० ५३१ । ' ३. पाण्डेय, राजबली : प्रा० भा०, पृ० २११; विक्र उ, पृ. १२; यही तिथि हरप्रसाद शास्त्री ( इपि० इण्डि०, बारहवा, पृ० २३० तथा गो। राः ओझा ( प्राचीन लिपिमाला, पृ० १६८ ) द्वारा भी मान्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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