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________________ ५६ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन स्कन्दपुराण में आम (नागभट्ट द्वितीय ) को कान्यकुब्ज का सार्वभौम सम्राट कहा गया है ।' ६. कन्नौज नरेश यशोवर्मा को आम का पिता लिखा है, जो इतिहासविरुद्ध है । राजशेखर को किसी पूर्ववर्ती से यह गलत सूचना मिली और यशोवर्मा का भ्रान्तरूप में चित्रण कर दिया । वस्तुतः आम ( नागभट्ट ) के पिता का नाम वत्सराज था । यशोवर्मा वह हो सकता है जिसने किसी गौड़ राजा को मारा था । अन्त में पञ्चाल देश के डूम्बाउधी ग्राम के समीकरण की समस्या रह जाती है । एक जैन - परम्परा में इस ग्राम की पहचान पंजाब के दुलवा ग्राम से की गयी है क्योंकि दूर्वा, दूब और दुलवा समानार्थक हैं, किन्तु यह मत मान्य नहीं है । पञ्चाल देश में आधुनिक उत्तर प्रदेश के बरेली, बदायूं, फरूखाबाद और रुहेलखण्ड के समीपवर्ती जिले आते हैं । कालान्तर में पञ्चाल के दो भाग हो गए - उत्तर और दक्षिण पञ्चाल | अतः डम्बाउधी ग्राम आधुनिक उत्तर प्रदेश में ही खोजना पड़ेगा और वह भी दक्षिणी पञ्चाल में । क्योंकि दक्षिणी पञ्चाल गोपगिरि और कन्नौज के अधिक निकट है । महाभारत में कई पर्वों में इसका उल्लेख है ।' ऐतरेय ब्राह्मण में पञ्चाल के शासक दुर्मुख (डुम्मुख ) का नाम मिलता है । इसी दुर्मुख या डुम्मुख के नाम से काम्पिल्य के आस-पास कोई डूम्बाउधी ग्राम रहा होगा । १०. हेमसूरि प्रबन्ध चांगदेव ( हेमचन्द्र ) का जन्म ( १०८८ ई० में ) धुन्धुक नगर में हुआ था। उनके माता-पिता – पाहिणि और चाचिग - मोढ़ १. 'मिहिरं कान्यकुब्जे च', स्कन्दपुराण, ७ १. १३९. २२ ( २ )। २. कनिंघम : एंशिएण्ट ज्योग्रैफी, पृ० ३६०; रायचौधरी, हेमचन्द्र : प्रा० भा० का राज० इति०, पृ० १०४ - १०६ । ३. आदि० अ० ९४, १०४, द्रोण० अ० २२; उद्योग० भ० १५६-१५७; 1 3 " वन०, अ० २५३, ५१३, 1 विराट० अ० ४। २३ । ४. ऐतरेय ब्राह्मण, आठवाँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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